अंधकार की गहराई में छिपी भूतिया हवेली
Author-: Regar Rajasthani
वर्ष 1920 की बात है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में एक व्यापारी उद्योगपति रहता था। उसका नाम सुरेश चौधरी था। सुरेश अपनी धनवान और सुखी ज़िन्दगी का आनंद लेता था, लेकिन उसके मन में एक ख़ालीपन था। उसे विदेश घूमने का शौक था, इसलिए उसने गांव से दूसरे राज्य में नए व्यापार विस्तार के लिए यात्रा की तैयारी की। अपनी यात्रा के दौरान उसे अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रुकने की आवश्यकता हो गई। उन्होंने सोचा कि इसे मौका बना लेते हैं और एक छुट्टी के दौरान हवेली में रुक जाते हैं।
वे उस छोटे से गांव से निकल पड़े और रास्ते में हवेली की ओर बढ़ते हुए आगे बढ़ रहे थे। रास्ते के बीच में उन्होंने एक बुजुर्ग आदमी से हवेली के बारे में पूछा। वह आदमी संक्षेप में बताता है कि हवेली भूतों की बस्ती है और वहां कई अतीत की भूतों ने अपना आवास बुजुर्ग आदमी की इस बात से डरकर, सुरेश ने अपनी परिवारिक सुरक्षा के लिए और इंतजार किए बिना हवेली की ओर अग्रसर होना जारी रखा। हवेली के पास पहुंचते ही एक अजीब और भयानक माहौल सुरेश और उसके परिवार को घेर लेता है। वातावरण धुंधला और ख़तरनाक था, और सभी जगह अंधकार की गहराई छाई हुई थी। वे आंधी से भरी रात में हवेली के द्वार पर खड़े हो जाते हैं।
हवेली के द्वार के पास उन्हें एक रसोईघर दिखाई देता है, जहां से चिल्लाहट और अजीब आवाज़ आ रही होती है। घबराहट में सुरेश ने बीवी के हाथ पकड़ते हुए कहा, "हमें इस जगह से जल्दी भागना चाहिए।" लेकिन जब उन्होंने द्वार को प्रयास किया तो वह ज़ंजीरों से बंधा हुआ था। वे वापस आकर अलमारी से एक पुराना हुकुमतनामा खोजते हैं जिसमें लिखा होता है, "अगर आपको यहां से जीवित निकलना है, तो एक रात के लिए इस जगह में रुकें।" चिंतित होते हुए भी, सुरेश ने नियमोको मानते हुए परिवार को रसोईघर में ले गए। वहां पहुंचते ही उन्होंने देखा कि रसोईघर रहस्यमयी ढंग से सजाया गया था। विचित्र संकेतों, अर्धनग्न दीपकों और जलते हुए चित्रों की वजह से वहां का माहौल और भी डरावना लग रहा था।
सुरेश और उसकी पत्नी विमला ने दिमाग में इस भयानक स्थिति को संजोकर बच्चों को ध्यान न देने की कोशिश की। वे रसोईघर में रात बिताने के लिए सजावट के साथ आहार बनाने में लग गए।
रात के ढलते ही रसोईघर में विचित्र घटनाएं घटना शुरू हो गईं। बरसात की बूंदों की आवाज़, आकाश में भीषण आंधी की चीखें और घर के कोनों से आने वाली भूतों की आवाज़ें सुरेश को डराने लगी। वह अपनी परिवार से लिपटकर रोने लगा, असहायता में छलांग लगाते हुए बेबसी का एहसास हो रहा था।
अचानक, एक पुरानी महिला का रूप धीरे-धीरे उनके सामने प्रकट हुआ। वह महिला भूतिया रूप लेकर उन्हें घूर रही थी। सुरेश और िमला ने आपस में एक-दूसरे की ओर देखा, अपने बच्चों को चुप कराने का इशारा किया और महिला की ओर पलटी। उनके हृदय में डर का अनुभव होता हुआ भी, विमला ने साहसपूर्वक पूछा, "कौन हो तुम? और तुम यहां क्या कर रही हो?"
महिला भूतिया तरह से मुस्कान करती हुई उनसे बोली, "मेरा नाम सुमित्रा है। मैं इस हवेली की एक पुरानी रहस्यमयी रहस्य हूँ। मेरे जीवन की त्रासदी और आक्रोश ने मुझे एक भूतिया आत्मा में बदल दिया है। मैं इस जगह में आवाज़ें बुलंद करके अपनी ताकत और गुस्से को प्रकट करती हूँ।"
विमला और सुरेश चौंके हुए थे, लेकिन विमला ने मजबूती से कहा, "हमारे साथ खेल रही हो? क्या तुम इस भूतिया वातावरण को बदलना चाहती हो? कृपया हमें छोड़ दो और हमें जाने दो।"
सुमित्रा की आँखों में एक अज्ञात उदासी छा गई। उसने कहा, "तुम्हारे वचनों का मान रखते हुए, मैं तुम्हें जाने देती हूँ। परंतु सावधान रहो, यह हवेली धीरे-धीरे ढलती रात के अंधकार में सुरेश, विमला, और उनके बच्चों ने हवेली से निकलने के लिए रसोईघर से बाहर निकलने का प्रयास किया। वे हाथ में होली लगाए लकड़ी का इंट्ज़ाम लेकर आगे बढ़े, लेकिन द्वार फिर से ज़ंजीरों से बंधा हुआ था। उनका दिल आंधी की गतिमान संगीत, दरावनी आवाज़ों, और अजीब सांसों से भर गया था।
एक बार फिर उन्होंने कोशिश की द्वार को खोलने की, लेकिन यह बार द्वार ज़ोरदार आवाज़ के साथ बंद हो गया और एक व्यक्ति अचानक सामने प्रकट हुआ। वह एक भयंकर भूत रूप लेकर उन्हें देख रहा था। सभी आहत और भयभीत हो गए।
भूतनी आत्मा उच्च आवाज़ में बोली, "तुम्हें यहां से जाने की इच्छा है? तो मेरे साथ एक दिलचस्प खेल खेलो। अगर तुम मेरी परीक्षा पास करते हो, तो मैं तुम्हें जाने दूंगी।"
दिलचस्प खेल के बारे में सोचते हुए विमला ने उठाया, "ठीक है, हम तुम्हारे खेल में भाग िया। हम तैयार हैं तुम्हारी परीक्षा का सामना करने के लिए।"
भूतनी आत्मा अद्भुत भाव से मुस्कान करते हुए बोली, "बहुत अच्छा! यह खेल इतना साधारण नहीं होगा। तुम्हें इस हवेली के विभिन्न कमरों में ढूँढ़ना होगा और छोटे-छोटे पहेलियों का समाधान करना होगा। इस दौरान, तुम्हें सावधान रहना होगा क्योंकि हर कमरे में आपका सामना एक भयानक संदेश, रहस्यमय वस्त्र या भूतिया उपहार से होगा।"
परिवार को डर के साथ यह खेल खेलने की तैयारी में ले जाते हुए, भूतनी आत्मा उन्हें पहले कमरे में ले गई। वहां उन्हें एक पुरानी खिड़की और खंभे दिखाई दिए, जिनमें लिखा था, "मुझे तुम्हारे पास होने पर बधाई हो! अब अगले कमरे में जाओ और मेरा समाधान करो।"
सुरेश और उनका परिवार अगले कमरे में चले गए, जहां वे एक पुरानी तस्वीर देखते हैं, जिसमें एक महिला और एक भूत दिखाई देते हैं। तस्वीर के नीचे लिखा होता है, "उत्तर के लिए एक पुरानी पत्रिका को खोलो। उसके पश्चात, तुम्हें दिए गए प्रश्न का उत्तर देना होगा।"
सुरेश और विमला ने उत्साहपूर्वक पत्रिका खोली और उसमें दिए गए प्रश्न पढ़े। प्रश्न कहता था, "मुझे कौन सा रंग पसंद है?" सोच-समझकर, वे "लाल" उत्तर देने का निर्णय लिया। जैसे ही उत्तर दिया गया, पत्रिका एक बड़ा साँप आकार लेती हुई उन्हें दिखाई दिया और एक छोटे से द्वार खुल गया।
अगले कमरे में पहुंचते ही, सुरेश और विमला एक पुरानी अलमारी देखते हैं जिसका ताला बंद होता है। ताला के पास एक चिट्ठी थी, जिसमें लिखा था, "मेरे भविष्य की कुंजी कहां है?" विचार करते हुए, वे उत्तर देने के लिए उसे खोलने का प्रयास करते हैं। धीरे-धीरे, विमला ने उच्च आवाज़ में कहा, "चिट्ठी के पीछे की ओर देखो!" और उन्होंने ताला को उलटा कर दिया। ताला खुल गया और उसमें एक छोटी सी चाभी मिली।
तीसरे कमरे में जाते ही, सुरेश और विमला ने एक पुरानी किताब देखी जो कमरे के मध्य में एक मेज पर रखी थी। उन्होंने किताब खोली और उसमें से एक पन्ना चुना। पन्ने पर लिखा था, "अगली चुनौती का सामना करने के लिए विज्ञान कक्षा में जाओ।"
विमला और सुरेश विज्ञान कक्षा की ओर चले। कक्षा के अंदर, वे देखते हैं कि ब्लैकबोर्ड पर एक समस्या लिखी हुई है। समस्या कहती है, "दो रासायनिक तत्वों के मिश्रण को बनाने के लिए, तुम्हें उन्हें उचित अनुपात में मिलाना होगा। जब तक तुम सही अनुपात नहीं पा लेते, कक्षा के बाहर नहीं निकल सकोगे।"
विमला और सुरेश एक-दूसरे की ओर देखते हैं, उनकी आंखों में संदेह की झलक दिखती है। क्या वे सही अनुपात ढूंढ पाएंगे और इस भूतनी आत्मा के खेल का सामना करके बच जाएंगे? धीरे-धीरे उन्होंने आपस में नजदीकियाँ बढ़ाते हुए अपनी मंज़िल की ओर बढ़ाया। विमला और सुरेश कठिनाइयों का सामना करते हुए विज्ञान कक्षा में एक-दूसरे का साथ देते हैं। वे विभिन्न तत्वों के अनुपात की परीक्षा करने के लिए उद्यमशीलता से काम करते हैं। धीरे-धीरे, वे उचित अनुपात पाने के लिए एक मिश्रण बनाते हैं और समस्या का समाधान प्राप्त करते हैं। ब्लैकबोर्ड पर लिखे निर्देशों के अनुसार, भूतनी आत्मा वापस आकर खुश हो जाती है।
भूतनी आत्मा अप्रत्याशित रूप से मुस्कान करती है और कहती है, "तुमने मेरे खेल को पारित कर लिया है। तुम मेरे लिए विशेष हो, इसलिए तुम्हें हवेली से जाने की अनुमति दी जाती है। ध्यान रखो, यह हवेली अभिशापित है, और जब तक तुम उससे बाहर नहीं निकलते, तुम आधी दुनिया में फंसे रहोगे।"
विमला और सुरेश धन्यवाद देते हैं और जल्दी से हवेली से निकलने के लिए रास्ता तलाशने के लिए आगे बढ़ते हैं। रास्ते में, उन्होंने एक पुराने गुफा को देखा और उसमें आगे बढ़ाते हैं। गुफा के अंदर प्रवेश करते ही, विमला और सुरेश को एक घंटी की आवाज सुनाई देती है। वे चोंक जाते हैं और एक दौड़ते हुए आवाज के पीछे जाते हैं। घंटी की आवाज उन्हें एक छोटे से कमरे तक पहुंचाती है, जहां एक विशेष संदेश छिपा होता है।
संदेश पढ़ते ही, विमला की आँखों में भयानक डर दिखाई देता है। उसे एक सजा के साथ भीषणता का अहसास होता है। संदेश में लिखा होता है, "अगर तुम बिना मेरी सामग्री और मेरे रहस्यों को सुलभ कर लेते हो, तो तुम्हें इस गुफा से निकलने की अनुमति मिलेगी।"
विमला और सुरेश के बीच सद्य परिवर्तन हो जाता है। उनके सामने खड़ी हवेली की पूरी भूतिया इतिहास रचने वाली भूतनी आत्मा ने उन्हें एक विपरीत मंज़िल के रास्ते पर ले जाने की चुनौती दी है। अब विमला और सुरेश के सामर्थ्य और हिम्मत का समय है, जो उन्हें इस भयानक प्रेत नगरी से बाहर निकलने के लिए बचा सकता है। विमला और सुरेश अपनी विचारधारा को संयमित करते हुए आगे बढ़ते हैं। उन्हें अंधेरे गलियारों, भयानक आवाज़ों और आत्मा की आंखों के सामने उभरते दिखाई देते हैं, लेकिन वे अविचलित रहते हैं। अनुभवों की गहराई में, उन्हें प्रतिरोध करते हुए अंदरूनी संक्रमणों के साथ लड़ना पड़ता है।
अंग्रेजी शिक्षक की भूत आत्मा उन्हें आक्रमण करती है, जबकि पुराने महल के अंदर संकट से प्रभावित रोमन सैनिक उनका पीछा करते हैं। लेकिन विमला और सुरेश एक दूसरे के साथ मिलकर तर्क और बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हैं।
धीरे-धीरे, उन्होंने रहस्यमय सिरदरियों और भूतिया पथों के मध्य से अपना रास्ता खोजा। उन्होंने संकट से प्रभावित कमरों, भयानक विचारों और डरावनी प्रतिरूपों के बीच से निकलकर उत्साहपूर्वक विमला और सुरेश ने निर्देशित रास्ते पर अपनी यात्रा जारी रखी।
अंततः
उन्होंने उज्ज्वलता के साथ निकले हुए एक बड़ी दरवाज़ा देखा, जो हवेली के बाहर निकलता था। उन्होंने दरवाज़े को धीरे से खोला और अंदर की रौशनी के साथ आधी दुनिया में वापस आए। विमला और सुरेश एक-दूसरे की ओर मुस्काते हुए बड़े राहत के सांस लेते हैं।
हवेली से बाहर निकलते ही, विमला और सुरेश को एक अनोखी सुंदरता वाली प्रकृति स्वागत करती है। ये उनके लिए एक नया आरंभ है, एक नया अवसर। वे एक-दूसरे को देखते हैं, जीते हुए, और एक साथ ये अनुभव साझा करते हैं। भूतनी आत्मा की परीक्षा में, वे एकजुटता और साहस का आभास पाते हैं।
विमला और सुरेश के चेहरे पर खुशी की मुस्कान होती है, क्योंकि वे जानते हैं कि उन्होंने भूतनी आत्मा के खेल को पार कर लिया है। उनका साहस, बुद्धिमत्ता और सहयोग उन्हें अद्वितीय बनाते हैं। अब, विमला और सुरेश के सामर्थ्य के साथ, वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं और जीवन के हर पहलू में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। विमला और सुरेश एक-दूसरे का हाथ पकड़ते हैं और आगे की यात्रा पर निकलते हैं। उनके मन में नया जोश और उमंग होता है।
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