"डंड राक्षस: दास्तान-ए-भयानक" (Dand Rakshas: Daastan-e-Bhayank)
हजारों साल पहले पृथ्वी पर डंड राक्षस का राज था। उसने ब्रह्मदेव को प्रसन्न करके वरदान में एक शस्त्र मांगा था। एक ऐसा शस्त्र जो इंद्र के राज्य के समान कठोर और ताकतवर था। उसने ब्रह्मदेव से कुछ और शक्तियां भी मांगी थी, जिसने लोगों की इच्छा पूरी करने वाला वर भी था। वरदान मिलने के बाद उसने पृथ्वी पर कब्जा कर लिया और सभी राक्षस तथा इंसानों पर राज करने लगा। उसने सभी मंदिरों में से भगवान की मूर्तियां हटा डाली और खुद की मूर्तियां लगवा ली। वह लोगों को खुद की पूजा करने के लिए मनवाने लगा और जो ना माने उन पर बल का प्रयोग करने लगा।
डंड राक्षस: ख़ौफ़नाक रहस्य (Dand Rakshas: Khaufnak Rahasya)
लोग उसकी पूजा करते और डंड राक्षस खुश होकर उनकी सभी इच्छाएं पूरी करता। चाहे वो इच्छा अच्छी हो या बुरी, बुरी चाहे मतलब ऐसी कि वह दो भाइयों में से एक भाई इच्छा मांगे कि मेरा दूसरा भाई मर जाए और पूरी जायदाद मुझे मिले या फिर कोई चोर इच्छा मांगे कि मैं किसी अमीर आदमी के घर डाका डालने में सफल हो जाऊं तो उनकी इच्छा पूरी हो जाती है। बुरी इच्छाएं पूरी करने की वजह से अच्छे लोगों पर अन्याय होने लगा तो सभी दुखी लोगों ने ऋषि मुनियों से मदद मांगी और मुनियों ने इंद्र से, तो इंद्र खुद से अपनी सेना लेकर पृथ्वी पर आए और उन्होंने डंड से युद्ध किया। लेकिन डंड राक्षस को मिले हुए शस्त्र की वजह से वह अजए था। तब इंद्र देव ने अपनी शक्ति से उसे मूर्ति में तब्दील करवा दिया और जब वह पत्थर की मूर्ति में बदल गया तब उन्होंने उससे शस्त्र छीन लिया और फिर पृथ्वी डंड राक्षस के अन्याय से मुक्त हो गई ।
डंड राक्षस: अंधकार की आहट" (Dand Rakshas: Andhakaar ki Aahat)
मेरा नाम रोहित है और यह घटना मेरे साथ तब हुई थी जब मैं 12 साल का था। उस गर्मियों की छुट्टियों में आई के साथ हिल-स्टेशन वाले फार्महाउस पर गया था। हिल स्टेशन पर 10 से 12 फार्म हाउस थे। बाकी कोई मार्केट वगैरह कुछ नहीं था। पूरा ही 10 12 मालिकों की प्राइवेट प्रॉपर्टी थी, इसलिए कोई टूरिस्ट वहां पर नहीं आ सकता था। वो रात मुझे अभी भी याद। शाम के सात आठ बज रहे थे। अंधेरा हो चुका था और मैं मेरे बेडरूम में बेड पर लेटा था। जोकि दूसरी मंजिल पर था। तभी मुझे खंडिये ने आवाज लगाई।
चिंटू चिंटू बहार आ।
वैसे में उठकर खिड़की में गया। मैंने नीचे जाकर देखा तो खंडिया पीठ पर बैग पहने खिड़की के नीचे खड़ा था। उसने मुझे जल्दी से बाहर बुलाया तो मैं जल्दी से बाहर चला गया। खांडिया बाजू वाले फार्महाउस के केयरटेकर का लड़का था। उसके मां बाप उस फार्महाउस की देखभाल करते थे।
क्या हुआ? मुझे बाहर क्यों बुलाया? मैंने उससे पूछा।उसने कहा और हम फार्म हाउस के बाहर आ गए। हम लोग जंगल के रास्ते से खंडहर की ओर जाने लगे, जोकि तालाब के किनारे था। रात में जंगल में घूमना हमारे लिए कोई नई बात नहीं थी, क्योंकि जंगल में कोई जंगली जानवर नहीं थे इसलिए वह सीधा हाथ में टॉर्च लिए आगे चल रहा था और मैं उसके पीछे चल रहा था। चलते चलते मेरी नजर उसके बैग पर पड़ी तो मैंने उससे पूछा कि बैग में क्या हे? उसने जवाब दिया। खंडहर पहुंचने के बाद वो मुझे दिखाये गा। थोड़ी देर चलने के बाद हम दोनों खंडर के पास पहुंचे। उसके बाद खंडर के बाहर एक जगह पर ठहर गया और खुश होते हुए बोला।
चिंटू हमें इस जगह पर खोदना है। मैं खोदता हूं। तुम बस मिट्टी बाजू में करना। लेकिन खंडिया क्यों खोदना है? क्या है जमीन के नीचे? कुछ दिनों से मुझे एक सपना बार बार आ रहा है। सपने में मैं और तुम इसी जगह पर गड्ढा खोदते हैं। और फिर हमें इस जगह से मूर्ति का एक सार मिलता है। अरे यार, क्या तुम भी सपने कभी सच नहीं हुआ करते? कुछ नहीं मिलने वाला यहां पर। चलो वापस चलते हैं।
मैंने उसे कहा लेकिन वह बस यही कह रहा था कि उसका सपना, सपना नहीं बल्कि भविष्य है। उसने मुझे दोस्ती की कसम दी। इसलिए उसका साथ देने के लिए तैयार हो गया। हमने गड्ढा खोदना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में हमें उस गड्ढे से एक मूर्ति का सर मिला जिसके सर पर दो सिंह थे। उसकी आंखें बड़ी थी और मुंह खुला हुआ था। उसके जानवर जैसे लंबे दांत थे। मुझे समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि वह एक राक्षस की मूर्ति का सर है। उस सर को देखते हुए खंडिया बोला देखा।
उसके बाद हमने दो अलग अलग जगह पर जमीन खोदी जहां पर हमें मूर्ति की और दो भाग मिले। एक सर से नीचे कमर तक का भाग और दूसरा कमर से पैरों तक का था। लेकिन मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि खंडिया को कैसे मालूम था कि उसी जगह पर मूर्ति के टुकड़े मिलेंगे। इसलिए मैं इस बात पर यकीन करने के लिए मजबूर हो गया कि उसने सच में सपने में भविष्य देख लिया था। लेकिन सवाल यह था कि यह सब कैसे हुआ? मैं सोच रहा था कि तभी खंडिया बोला।
मुझे ये तीन भाग जोड़ने हैं। हम इसे खंडहर में लेकर जाएंगे और वहीं इसको जोड़ेंगे। लेकिन तुम्हें यह भाग क्यों जोड़ने हे?
वह मूर्ति जोड़ने के बाद बताऊंगा। हमने वह भाग खंडहर में ले जाकर एक के ऊपर एक रखकर उन्हें सीमेंट की मदद से जोड़ दिया। उसके बाद खंडिया ने अपने बैग से रात में खिलने वाले फूलों का हार निकाला और उस मूर्ति को पहना दिया। उसके बाद उसने राख निकाली और उस मूर्ति के माथे पर लगाई।
खंडिया यह तुम क्या कर रहे हो। मैं इसकी पूजा कर रहा हूं। लेकिन यह तो राक्षस है और पूजा तो सिर्फ भगवान की होती है। मेरी एक इच्छा भगवान पूरी नहीं कर रहे हैं। इसीलिए मैं इस डंड राक्षस की पूजा कर रहा हूं जो ज़रुर मेरी इच्छा पूरी करेगा।
यह मेरा गुड्डू मुझे बहुत प्यारा है। सिर्फ आपके लिए मैं इसकी बलि चढ़ा रहा हूं। बदले में आप मेरी इच्छा पूरी कर दो। मतलब खंडिया गुड्डू की बलि चढ़ाने वाला था। मै खंडिया को गुड्डू की बलि चढ़ाने नहीं दे सकता था। इसलिए मैंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन उसने मुझे धक्का दे दिया, और मैं दीवार से जा टकराया और नीचे गिर गया। तभी खंडिया बोला, मालिक बलि स्वीकार कीजिए।
चिंटू तुझे लगी तो नहीं?
उसने मुझसे पूछा लेकिन मैं उस पर बहुत ज्यादा गुस्सा था। उसने अपने एक अंधविश्वास में एक मासूम खरगोश की बलि दी। मैंने उसके सवाल का कोई भी जवाब नहीं दिया और मुंह फुलाकर में हाउस की तरफ चल पड़ा। खंडिया मुझे मनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मैंने उसकी एक नहीं सुनी। जब मैं मेरे फार्म हाउस में पहुंचा तो खंडिया मेरे पीछे से मेरा हाथ पकड़ा और मुझ पर चिल्लाते हुए बोला।
चिंटू तू समझ क्यों नहीं रहा? मैंने जो कुछ किया है मेरी और मेरी मां की खुशी के लिए किया। गुड्डू से मैं भी बहुत प्यार करता था लेकिन मेरे पास और कोई चारा नहीं था।
तभी उसकी आवाज सुनकर उसके पिताजी वहां पर आ गए। वह शराब के नशे में धुत थे। और रईस की औलाद मरने चला गया था। तेरी मां कब से तेरी फिक्र कर रही थी। वह नशे में झूलते हुए बोले।
मां फिक्र कर रही थी तो आपकी क्यों जान निकली जा रही थी? रोज की तरह हमारे पैसे से दारू पीकर सो जाते।
मारलो जितना मारना है मारलो। कल से आप मुझे मार नहीं पाएंगे।
खंडिया उनकी ओर देखकर गुस्से में बोला।
क्यों कल मर जायेगा? क्या तू है।
चिंटू? तभी मुझे मेरी मां ने आवाज लगाई और वह बगीचे में आ गई। कहां गया था इतनी देर से? मुझे कितनी चिंता हो रही थी तुम्हारी। आई ने मुझसे कहा।
कैसी हो चिंटू की मम्मी
उसके पिताजी ने मेरी आई की तरफ देखते हुए बोला। उसकी नजरें मेरी आय की तरफ किस नजर से देखती थी वो हम सब जानते थे। लेकिन आई खंडिया और उसकी मम्मी की ओर देखकर उनकी गलती को नजरअंदाज कर दी थी। ठीक हूं, आई नहीं कहा और वह मेरा हाथ पकड़कर मुझे अंदर ले जाने लगी।
अरे खाना खाया क्या चिंटू की मम्मी ?
वह पीछे से चिल्लाए। मैंने गुस्से से मुड़कर उनकी ओर देखा।
चिंटू आगे देख गंदे लोगों के मुंह नहीं लगते।
मम्मी ने कहा और वह मुझे अंदर ले गए। उस रात में उस खंडिया की बेरहमी के बारे में सोचता रहा। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि खंडिया इतना बेरहम हो सकता है। गुड्डू हमारा सबसे प्यारा खरगोश था। मैं उसे बहुत प्यार करता था। उस रात में जैसे तैसे सो गया। सुबह किसी औरत की रोने की आवाज सुनकर में उठ गया। वह औरत बहुत ही दर्द में रो रही थी। उसका रोना सुनकर मैं डर गया। जब मैं होश में आया तो मुझे पता चला कि वह आवाज खंडिया की मम्मी की है। में भागकर खंडिया के फार्म हाउस की ओर चला। फार्म हाउस के बाहर पुलिस वैन खड़ी थी तो मैं गेट से।
और मैं भाग कर खंडिया के फार्म हाउस की ओर गया फार्म हाउस के बाहर पुलिस वैन खड़ी थी। में गेट से अंदर चला गया। आगे लोगों की भीड़ थी, लेकिन दाई ओर मुझे कुछ लोगों की आवाज सुनाई दी। मैंने उस ओर देखा तो वहां दो पुलिस वाले शेरू की लाश के पास बैठे हुए पंचनामा कर रहे थे। शेरू खंडिया के पिता का पालतू कुत्ता था। उसका सर पत्थर से कुचला गया था। यह देखकर मैं बहुत ज्यादा घबरा गया। मैं सोचने लगा कि शेरू को इस तरह से कौन मार सकता है। खंडिया की मम्मी अभी भी जोर जोर से रो रही थी। मैंने भीड़ की ओर देखा तो उसमें मेरी आई खड़ी हुई मुझे दिखाई दी। में मां के पास जाकर खड़ा हो गया। और आगे का नजारा देख मेरे रोंगटे खड़े हो गए। आगे खंडिया के पिताजी की लाश पड़ी थी। उनका गले का मांस गायब था और चेहरे पर खरोंचे थी। खंडिया की ममी लाश के सामने बैठी रो रही थी। खंडिया लाश से दूर बस अपने पिताजी की लाश को घूर रहा था। लेकिन उसके चेहरे पर अपने बाप को खोने का कोई गम दिखाई नहीं दे रहा था। ठीक से बताइए क्या हुआ था?
एक पुलिस अफसर ने खंडिया की मां से पूछा।
सुबह खंडिया की चीख सुनकर मैं घर से बाहर निकली तो आंगन में जमीन पर खंडिया के पिताजी खून से लथपथ पड़े दिखाई दिए और खंडिया शेरू को मार रहा था। उसने शेरू के सर पर पत्थर से हमला किया और शेरू जमीन पर गिर गया। मैंने खंडिया से पूछा कि तुम उसे क्यों मार रहे हो तो उसने रोते हुए कहा कि मम्मी शेरू ने पिताजी को मार डाला। मैं जब बाहर आया तो पिताजी जमीन पर पड़े हुए थे और शेरू उनके गले का मांस खा रहा था। जिसको अपनी थाली में से मांस निकालकर खिलाते थे आज उसी ने उनके गले का मांस खा लिया।
ऐसा कहकर वह फूट फूटकर रो पड़ी। यह सुनकर तो मेरे होश ही उड़ गए थे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि शेरू ऐसा कर सकता है, क्योंकि शेरू घर में सिर्फ खंडिया के पिताजी की ही बात सुनता था। बाकी तो वह खंडिया और उसकी मां पर भी भौंकता था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि शेरू ने आखिर ऐसा क्यों किया। यह सोच रहा था। तभी मेरी आई की नजर मुझ पर पड़ गई और वह मुझे डांटते हुए घर ले गई। कुछ दो तीन दिन बाद एक रात खंडिया मेरे आंगन में आया। मैं उससे मिलने आंगन में चला गया। पिछली बार की तरह ही उसकी पीठ पर उसकी बेग थी। लेकिन आज वह हर रोज से कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहा था।
चिंटू जल्दी से चल, हमें खंडहर जाना है, लेकिन क्यों? क्योंकि मेरी इच्छा पूरी हो गई है और मुझे डंड राक्षस को धन्यवाद देना है। लेकिन तुम्हारी कौन सी इच्छा उस राक्षस ने पूरी कि है। मेरे पिताजी मर गए हैं।
वह खुश होकर बोला। मैं ज़रा सा उलझन में पड़ गया। मतलब तुम्हारे पिताजी मर गए। क्या तुमने राक्षस से उनकी मौत मांगी थी? हां हां बिल्कुल। उसने खुश होकर जवाब दिया। उसका जवाब सुनकर मैं कुछ देर चुप हो गया। लेकिन मैं अंदर से उससे बहुत ज्यादा गुस्सा था।
कैसे बेटे हो तुम? तूने खुद के बाप की मौत चाही, मेरे पापा नहीं है, तो मैं रोज उनके लिए रोता हूं। नास्तिक हूं।
लेकिन फिर भी भगवान से हर रोज यही प्रार्थना करता हूं कि मेरे पिताजी वापस आ जाए और तुम खुद के पिताजी की मौत पर खुश हो और राक्षस को उनकी मौत पर धन्यवाद देना चाहते हो।
मैंने न जाने कैसे कैसे शब्द उसके लिए निकाले। मैं उस पर बहुत चिल्लाया।
थू है तुझ पर तुझ जैसा बेटा किसी को न मिले। मेरे जिस बाप की तो बात कर रहा है ना, उसी की वजह से मैंने और मेरी मां ने बहुत कुछ झेला है। उसने कभी मुझे बाप की तरह प्यार नहीं किया। मेरी मां को उसने कभी एक देवी।
की तरह इज्जत नहीं दी, जब तक जिया। तो मेरी मां और मेरी। मेहनत के पैसों पर जिया। शराब के पैसों के लिए मां को पीटता था। मुझे पीटता था। मेरी और मेरी मां की जिंदगी का सबसे बड़ा दुख मेरा बाप था और उसी की वजह से मेरी छोटी बहन प्रिया इस दुनिया में नहीं है।
छोटी बीमार पड़ गई। एक हफ्ते से उसका बुखार कम नहीं हुआ था। इलाज के लिए ज्यादा पैसे भी नहीं बचे थे। तब एक रात पिताजी घर आये। छोटी को बीमार देख उन्होंने मगरमच्छ के आंसू बहा और बोले कि अब छोटी को इलाज के लिए शहर के अस्पताल ले जाना पड़ेगा। उस बरसात में पिताजी मां से इलाज के सारे पैसे लेकर गाड़ी लेने के लिए चले गए। छोटी हमारे सामने दर्द के मारे कराह रही थी। रात बीत गई सवेरा होने को आया था। तब उसने मेरे सामने अपना दम तोड़ दिया। लेकिन पिताजी वापस नहीं लौटे। पैसे खत्म होने के बाद दो दिन बाद घर आए। छोटी के अंतिम संस्कार में भी वह आदमी नहीं आया। तभी मैं समझ गया था कि इसे हमसे कोई वास्ता नहीं है। इससे मतलब सिर्फ हमारे कमाए हुए पैसों से है। बाप के प्यार के लिए मैं तरसता रहा, लेकिन उसने कभी मुझे प्यार नहीं किया। प्यार के बजाय हमें सिर्फ दर्द देता रहा। मैंने उसे अपने हाथों से मारने की कोशिश की लेकिन लेकिन मैं कर नहीं सका। बाप को अपने हाथों से मार नहीं सकता था, इसीलिए मैंने राक्षस से बाप की, मौत मांगी।
खंडिया की आंखें नम हो गई थी। उसने जो छोटी के बारे में बताया था, वह सुनकर तो मेरी आंखें भी नम हो गई थी। मुझे लगा कि खंडिया ने जो कुछ किया है ठीक ही किया। कम से कम उसकी मां और वह चैन से तो जी सकेंगे। मैंने खंडिया से माफी मांगी। क्योंकि मैं उसे गलत समझ बैठा था। लेकिन वह यह मानने को तैयार नहीं था कि उसके पिताजी की मौत उस राक्षस की वजह से हुई थी क्योंकि मैं नास्तिक था। मैं ना तो भगवान में विश्वास करता था ना ही भूत प्रेत राक्षस में। लेकिन खंडिया को डंड राक्षस पर अंध विश्वास था और वह उसका शुक्रिया करने के लिए वापस मंदिर में जाना चाहता था। इसलिए मैंने उसे हां करी और हम दोनों जंगल के रास्ते उस खंडहर की तरफ चलने लगे। मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे बैग में क्या है तो उसने बताया कि उसमें और एक खरगोश है। गुड्डू के बाद वह उससे ज्यादा प्यार करता था और राक्षस का शुक्रिया करने के लिए वह उसकी बलि चढ़ाने वाला है। तब मैंने उसे ऐसा करने के लिए मना किया। खंडिया
तुम अंधविश्वास में किसी मासूम की बलि नहीं चढ़ा सकते। यह राक्षस, भूत प्रेत ऐसा कुछ नहीं होता। अरे यह मेरा अंधविश्वास नहीं है। वह सच में है और उसी ने मेरी इच्छा पूरी की है।
तब हम दोनों में बहुत देर तक बहस हुई। मैं यह मानने को तैयार नहीं था कि वह राक्षस है। तब खंडिया बोला ठीक है।
अगर तुम्हें यह सब झूठ लग रहा है तो तू खुद उस राक्षस को देख मैं इस खरगोश की बलि दूंगा और वहां से चला जाऊंगा और कुछ दूर झाडिय़ों में छुप जाऊंगा। लेकिन तुम वही किसी दीवार के पीछे छुपकर उस राक्षस को मरे हुए खरगोश को खाते देखना तो तुम्हें मेरी बात पर विश्वास होगा।
मैं बस खंडिया को झुठलाना चाहता था। मैं जानता था कि खंडिया इन दो बल्लियों पर रुकने नहीं वाला है। वह आगे भी अपने अंधविश्वास में और जानवरों की बलि देगा। इसलिए उसे डंड राक्षस के अस्तित्व को झुठलाना बहुत जरूरी था। मैं तैयार हो गया। खंडिया ने राक्षस की मूर्ति के सामने उस खरगोश की बलि दी और वह वहां से चला गया। लेकिन मैं एक दीवार के पीछे से उस मरे हुए खरगोश के टुकड़ों की ओर देख रहा था कि तभी उस मूर्ति में जान आ गई और वो हिली। किसी आदमी की तरह वह हिल रही थी। उसकी आंखें लाल अंगारों की तरह दिख रही थी। वह किसी जानवर की तरह गुर्राया और जमीं पर बैठकर उस खरगोश के टुकड़े को खाने लगा। और मेरी आंखे फटी की फटी रह गई। इसका मतलब डंड राक्षस की कहानी सच थी। वह सच में था।
चिंटू मुझे बचा, वह राक्षस। मुझे मार डालेगा। मैंने अभी सपना देखा कि वह राक्षस मेरे कमरे में आकर मुझे मार गया। यह सुनकर तो मेरे होश उड़ गए। खंडिया के सभी सपने सच हो गए हैं और यह सपनों से आया हूं। इसका मतलब यह वाला भी सच होने वाला था।
लेकिन वह तुम्हें क्यों मार डालेगा?
क्योंकि मुझसे गलती हुई, राक्षस को खाते हुए नहीं देखते। अगर उन्हें ऐसा करते हुए कोई देखता है तो वह उन्हें मार डालता है। लेकिन क्योंकि मैंने तुम्हें उसे खाते हुए देखने के लिए मजबूर किया था। मैं उसका गुनहगार बन गया हूं, इसीलिए इसलिए वह गुस्सा है। वह मुझे मार डालने वाला है।
यह सुनकर मैं डर गया क्योंकि मैंने खुद उसे बलि खाते हुए देखा था। खंडिया मुझे वह मुझे तो मार नहीं डालेगा न।
नहीं, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी, और वह तुम्हें नहीं मारेगा। क्योंकि वह चाहता है कि तुम उसकी पूजा करो। लेकिन तुम ऐसा मत करना।
उस मूर्ति को, वह आगे बोलने ही वाला था कि मुझे उसकी दर्द भरी चीख सुनाई दी। वह ज़ोर से चीखा और फिर उसकी आवाज बंद हो गए। मैं काफी डरा हुआ था। शायद मैं उस राक्षस का शिकार बन चुका था। सुबह खंडिया की मां ने जब खंडिया का कमरा खोला तो वही कमरे में खंडिया की लाश थी। उसने खुद के ही नाखूनों से अपना पूरा शरीर नोच डाला था और आखिर में अपने ही नाखूनों से खुद का गला फाड़।
वह बहुत डरावना मंजर था। सब जानते थे कि यह खुद खंडिया का किया धरा है। ज़रूर कोई बुरी शक्ति इसके पीछे थी। लेकिन जो भी सबूत मिले उसे देखकर पुलिस वालों ने इसे खुदकुशी करार दिया। लेकिन मैं जानता था कि यह खुदकुशी नहीं थी। इसके पीछे डंड राक्षस था। मैं उस राक्षस से काफी डरा हुआ था। मेरे भाई ने मुझसे पूछा कि क्या हम यहां से अपने घर चले जाएं। लेकिन मैंने इनकार किया। मैं वहीं रहना चाहता था क्योंकि मेरे मन में एक बहुत ही बड़ी इच्छा थी जो कोई भी भगवान पूरी नहीं कर सकता था। सिर्फ राक्षस मेरी इच्छा पूरी कर सकता था। खंडिया की मौत के चार पांच दिन बाद मेरी आजी और अजूबा फार्महाउस पर आए तो मेरी मां को दूसरी शादी के लिए मनाने के लिए आए, क्योंकि मेरे बाबा की मौत कुछ ही महीनों पहले कार एक्सीडेंट में हुई थी।
और जैसे ही दरवाजा खुला तब मैंने देखा कि बाबा दरवाजे पर खड़े थे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरे बाबा वापस आ गए हैं। लेकिन तभी आई ने मुझे हिला कर नींद से जगा दिया। मैं समझ गया कि वह केवल मेरा सपना था। मैंने सपने में बाबा को देखा था, लेकिन जब मुझे पता चला कि वह मेरा सपना था तो मैं सोच में पड़ गया कि क्या मुझे भी खंडिया जैसे सपने तो नहीं आ रहे हैं। मतलब ऐसे सपने जो सच हो जाते हैं। मैं सोचने लगा कि क्या मुझे भी उस राक्षस की पूजा करनी चाहिए? और अगर खंडिया इच्छा में किसी की मौत मांग सकता है और राक्षस पूरी कर सकता है तो मैं भी मेरे बाबा को जिंदा कर सकता हूं।
बिखेर कर मैं फार्म हाउस चला आया। मां के कमरे में चला गया। आई अगर बाबा वापस आए तो आप दूसरी शादी नहीं करोगी ना?
लेकिन यह मुमकिन नहीं है। मरे हुए कभी लौटते नहीं हैं बेटा।
लेकिन बाबा जरूर लौटेंगे। वहआएंगे आई ठीक है बेटा, तू जाकर सो जा।
दूसरे दिन दिनभर में बाबा के घर लौटने का इंतजार करने लगा, लेकिन दिन भर कोई घर नहीं लौटा। लेकिन रात में घर की डोर बेल बजी। मैं भागते हुए दरवाजे के पास गया और दरवाजा खोला और मैंने देखा कि दरवाजे पर मेरे बाबा खड़े हैं। मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ था। मैंने दोनों हाथो से उन्हें लपेट लिया। आई देख बाबा वापस आए। मैं जोर जोर से चिल्लाने लगा। मेरी आवाज सुनकर, आई अपने कमरे से बाहर आई। साथ ही आजी-अजूबा भी वहां पर आए। मुझे लगा था कि बाबा को देखकर सब लोग बहुत खुश हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें देखकर हर कोई डरा हुआ था। बाबा आई के पास गए और उसे गले से लगाया, लेकिन आई ने उन्हें दूर धकेल दिया। यह देख अजूबा आगे आया। उन्होंने बाबा की कॉलर पकड़ी और बोले।
बहरूपिए कौन है तू?
बाबा मैं आपका बेटा दिनेश हूं। बाबा ने कहा।
तू दिनेश नहीं है। मेरा बेटा एक्सीडेंट में मर चुका है और उसके शरीर को हमने जला दिया है।
अजूबा ने कहा और बाबा को घसीटते हुए घर से बाहर ले गए और दरवाजा बंद कर दिया। बाहर से बाबा बता रहे थे कि वो ही उनके बेटे हैं। आखिरकार मैंने आई, अजूबा-आजी को सबकुछ बता दिया। जो मूर्ति को जमीन के बाहर निकालने के बाद हुआ था और उन्हें यह भी बता दिया कि बाबा सच में मौत के बाद लौटे हैं वह सिर्फ डंड राक्षस की वजह से। लेकिन मेरी आई फिर से मुझ पर गुस्सा हो गए।
चिंटू बस करो वरना मार खाएगा।
उन्होंने कहा, लेकिन मैंने देखा कि अजूबा-आजी को कोई चिंता खाए जा रही थी। अजूबा सुबह मेरा यकीन करो। मैंने कहा, आई मुझे बस चांटा लगाने ही वाली थी कि तभी अजूबा ने उसे रोका और बोले रुक जाओ तो।
मुझे लगता है कि शायद चिंटू सच कह रहा है।
यह आप क्या कह रहे हो पापा?
हां, बहुत लोग कहते हैं कि मरे हुए वापस नहीं आया करते हैं, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। वह वापस आते हैं और जब उन्हें बुरी शक्तियों को खोज करके वापस मंगाया जाए। और चिंटू ने यही किया है। हमें जल्दी से यहां से निकल जाना चाहिए। हमारी जान खतरे में है।
यह आप क्या बोल रहे हो पापा, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
बहू ये सच बोल रहा है। कभी कभी मरे हुए लोग वापस आते हैं। हमारे गांव में भी एक लोहार मौत के बाद वापस लौट आया था। उसकी जलकर मौत हो गई थी। उसका 16 साल का बेटा अनाथ हो गया था, क्योंकि उसकी मां कुछ सालों पहले ही मर चुकी थी। लोहार की मौत के बाद वह लड़का न जाने कहां चला गया और जब चार साल बाद वह गांव में लौटा तो गांव के लोग अचानक से बीमारी से मरने लगे हैं और एक अमावस की काली रात वह वापस आ गया। लेकिन लोग उसे लोहार का बहरूपिया समझ रहे थे। उसने लोगों को बताया कि वह नरक से वापस लौटा है, लेकिन कोई उसकी बातों का यकीन नहीं करता था।
ऐसी बातें सुनकर मेरी आंखें भी चकरा गई थी। मैंने उसकी आंखों में डर देख लिया था। साथ ही मैं भी घबरा गया था। हम लोग पीछे दरवाजे से चुपके से कार की तरफ गए। में कार की चाबी लेकर आता हूं।
अजूबा ने कहा और आई आजी और मैं पिछले दरवाजे से पार्किंग में चले गए। लेकिन तभी कार के पीछे से बाबा बाहर निकले। वह गुस्से में थे। बुढ़िया कहां ले जा रही है? मेरे बेटे और बीवी को? उन्होंने गुस्से में आजी से कहा।अरे कुछ नहीं बेटा। चिंटू बीमार था तो हमने सोचा कि उसे अस्पताल ले आते हैं।
आजी ने डरते हुए कहा। तभी बाबा ने आजी को चपेट मारा और आजी नीचे गिर गई। बाबा बहुत गुस्से में लग रहे थे। झूठ बोलती है बुढ़िया उन्होंने कहा, और वो हमारी तरफ बढ़े। उन्होंने आई का हाथ पकड़ा और बोले बहुत दिन से हम दोनों ने साथ में रात नहीं गुजारी। चलो घर के अंदर चलते हैं। यह सुनकर मेरी आई घबरा गई। उन्होंने अपना हाथ बाबा के हाथ से छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बाबा ने जोर से उन्हें पकड़ा था। तब बाबा गुस्सा हो गए और उन्होंने आई को भी चांटा मारा।
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