Hindi Horror Story, Dand Rakshas: Marne Walon Ka Sadiyon Se Chhupa Rahasya | Bhutiya Kahani

"डंड राक्षस: दास्तान-ए-भयानक" (Dand Rakshas: Daastan-e-Bhayank)

हजारों साल पहले पृथ्वी पर डंड राक्षस का राज था। उसने ब्रह्मदेव को प्रसन्न करके वरदान में एक शस्त्र मांगा था। एक ऐसा शस्त्र जो इंद्र के राज्य के समान कठोर और ताकतवर था। उसने ब्रह्मदेव से कुछ और शक्तियां भी मांगी थी, जिसने लोगों की इच्छा पूरी करने वाला वर भी था। वरदान मिलने के बाद उसने पृथ्वी पर कब्जा कर लिया और सभी राक्षस तथा इंसानों पर राज करने लगा। उसने सभी मंदिरों में से भगवान की मूर्तियां हटा डाली और खुद की मूर्तियां लगवा ली। वह लोगों को खुद की पूजा करने के लिए मनवाने लगा और जो ना माने उन पर बल का प्रयोग करने लगा। 

डंड राक्षस: मरने वालों का सदीयों से छुपा रहस्य (Dand Rakshas: Marne Walon Ka Sadiyon Se Chhupa Rahasya)


डंड राक्षस: ख़ौफ़नाक रहस्य (Dand Rakshas: Khaufnak Rahasya)

लोग उसकी पूजा करते और डंड राक्षस खुश होकर उनकी सभी इच्छाएं पूरी करता। चाहे वो इच्छा अच्छी हो या बुरी, बुरी चाहे मतलब ऐसी कि वह दो भाइयों में से एक भाई इच्छा मांगे कि मेरा दूसरा भाई मर जाए और पूरी जायदाद मुझे मिले या फिर कोई चोर इच्छा मांगे कि मैं किसी अमीर आदमी के घर डाका डालने में सफल हो जाऊं तो उनकी इच्छा पूरी हो जाती है। बुरी इच्छाएं पूरी करने की वजह से अच्छे लोगों पर अन्याय होने लगा तो सभी दुखी लोगों ने ऋषि मुनियों से मदद मांगी और मुनियों ने इंद्र से, तो इंद्र खुद से अपनी सेना लेकर पृथ्वी पर आए और उन्होंने डंड से युद्ध किया। लेकिन डंड राक्षस को मिले हुए शस्त्र की वजह से वह अजए था। तब इंद्र देव ने अपनी शक्ति से उसे मूर्ति में तब्दील करवा दिया और जब वह पत्थर की मूर्ति में बदल गया तब उन्होंने उससे शस्त्र छीन लिया और फिर पृथ्वी डंड राक्षस के अन्याय से मुक्त हो गई ।

डंड राक्षस: अंधकार की आहट" (Dand Rakshas: Andhakaar ki Aahat)

मेरा नाम रोहित है और यह घटना मेरे साथ तब हुई थी जब मैं 12 साल का था। उस गर्मियों की छुट्टियों में आई के साथ हिल-स्टेशन वाले फार्महाउस पर गया था। हिल स्टेशन पर 10 से 12 फार्म हाउस थे। बाकी कोई मार्केट वगैरह कुछ नहीं था। पूरा ही 10 12 मालिकों की प्राइवेट प्रॉपर्टी थी, इसलिए कोई टूरिस्ट वहां पर नहीं आ सकता था। वो रात मुझे अभी भी याद। शाम के सात आठ बज रहे थे। अंधेरा हो चुका था और मैं मेरे बेडरूम में बेड पर लेटा था। जोकि दूसरी मंजिल पर था। तभी मुझे खंडिये ने आवाज लगाई।

चिंटू चिंटू बहार आ।

वैसे में उठकर खिड़की में गया। मैंने नीचे जाकर देखा तो खंडिया पीठ पर बैग पहने खिड़की के नीचे खड़ा था। उसने मुझे जल्दी से बाहर बुलाया तो मैं जल्दी से बाहर चला गया। खांडिया बाजू वाले फार्महाउस के केयरटेकर का लड़का था। उसके मां बाप उस फार्महाउस की देखभाल करते थे।

क्या हुआ? मुझे बाहर क्यों बुलाया? मैंने उससे पूछा।

चल मेरे साथ। हमें खंडहर जाना है। उसने कहा। मेरा हाथ पकड़कर मुझे गेट के बाहर ले जाने लगा।

लेकिन क्यों? आधे रास्ते में बता दूंगा।

The Haunted House Restaurant

उसने कहा और हम फार्म हाउस के बाहर आ गए। हम लोग जंगल के रास्ते से खंडहर की ओर जाने लगे, जोकि तालाब के किनारे था। रात में जंगल में घूमना हमारे लिए कोई नई बात नहीं थी, क्योंकि जंगल में कोई जंगली जानवर नहीं थे इसलिए वह सीधा हाथ में टॉर्च लिए आगे चल रहा था और मैं उसके पीछे चल रहा था। चलते चलते मेरी नजर उसके बैग पर पड़ी तो मैंने उससे पूछा कि बैग में क्या हे? उसने जवाब दिया। खंडहर पहुंचने के बाद वो मुझे दिखाये गा। थोड़ी देर चलने के बाद हम दोनों खंडर के पास पहुंचे। उसके बाद खंडर के बाहर एक जगह पर ठहर गया और खुश होते हुए बोला।

यही वह जगह है। और फिर झाड़ी के अंदर घुसकर वह एक कुदाल और फावड़ा लेकर बाहर निकला। उसने फावड़ा मेरे हाथ में दे दिया और बोला।

चिंटू हमें इस जगह पर खोदना है। मैं खोदता हूं। तुम बस मिट्टी बाजू में करना। लेकिन खंडिया क्यों खोदना है? क्या है जमीन के नीचे? कुछ दिनों से मुझे एक सपना बार बार आ रहा है। सपने में मैं और तुम इसी जगह पर गड्ढा खोदते हैं। और फिर हमें इस जगह से मूर्ति का एक सार मिलता है। अरे यार, क्या तुम भी सपने कभी सच नहीं हुआ करते? कुछ नहीं मिलने वाला यहां पर। चलो वापस चलते हैं।

मैंने उसे कहा लेकिन वह बस यही कह रहा था कि उसका सपना, सपना नहीं बल्कि भविष्य है। उसने मुझे दोस्ती की कसम दी। इसलिए उसका साथ देने के लिए तैयार हो गया। हमने गड्ढा खोदना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में हमें उस गड्ढे से एक मूर्ति का सर मिला जिसके सर पर दो सिंह थे। उसकी आंखें बड़ी थी और मुंह खुला हुआ था। उसके जानवर जैसे लंबे दांत थे। मुझे समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि वह एक राक्षस की मूर्ति का सर है। उस सर को देखते हुए खंडिया बोला देखा।

मैंने कहा था ना यह कोई सपना नहीं है बल्कि भविष्य है। हमें मूर्ति के और दो भाग जमीन से बाहर निकालने होंगे जो दो अलग अलग जगह पर दफन हैं।

उसके बाद हमने दो अलग अलग जगह पर जमीन खोदी जहां पर हमें मूर्ति की और दो भाग मिले। एक सर से नीचे कमर तक का भाग और दूसरा कमर से पैरों तक का था। लेकिन मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि खंडिया को कैसे मालूम था कि उसी जगह पर मूर्ति के टुकड़े मिलेंगे। इसलिए मैं इस बात पर यकीन करने के लिए मजबूर हो गया कि उसने सच में सपने में भविष्य देख लिया था। लेकिन सवाल यह था कि यह सब कैसे हुआ? मैं सोच रहा था कि तभी खंडिया बोला।

मुझे ये तीन भाग जोड़ने हैं। हम इसे खंडहर में लेकर जाएंगे और वहीं इसको जोड़ेंगे। लेकिन तुम्हें यह भाग क्यों जोड़ने हे?

मैंने उससे पूछा तो वह बोला।

वह मूर्ति जोड़ने के बाद बताऊंगा। हमने वह भाग खंडहर में ले जाकर एक के ऊपर एक रखकर उन्हें सीमेंट की मदद से जोड़ दिया। उसके बाद खंडिया ने अपने बैग से रात में खिलने वाले फूलों का हार निकाला और उस मूर्ति को पहना दिया। उसके बाद उसने राख निकाली और उस मूर्ति के माथे पर लगाई।

खंडिया यह तुम क्या कर रहे हो। मैं इसकी पूजा कर रहा हूं। लेकिन यह तो राक्षस है और पूजा तो सिर्फ भगवान की होती है। मेरी एक इच्छा भगवान पूरी नहीं कर रहे हैं। इसीलिए मैं इस डंड  राक्षस की पूजा कर रहा हूं जो ज़रुर मेरी इच्छा पूरी करेगा।

ऐसा कहते हुए उसने बैग में से एक छूरी निकाली और फिर उसमें से उसका पालतू खरगोश बाहर निकाला जिसका नाम गुड्डू था। वह गुड्डू को हाथ में उठाकर मूर्ति के सामने खड़ा हो गया और फिर उसे हवा में उठाकर बोला मालिक।

यह मेरा गुड्डू मुझे बहुत प्यारा है। सिर्फ आपके लिए मैं इसकी बलि चढ़ा रहा हूं। बदले में आप मेरी इच्छा पूरी कर दो। मतलब खंडिया गुड्डू की बलि चढ़ाने वाला था। मै खंडिया को गुड्डू की बलि चढ़ाने नहीं दे सकता था। इसलिए मैंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन उसने मुझे धक्का दे दिया, और मैं दीवार से जा टकराया और नीचे गिर गया। तभी खंडिया बोला, मालिक बलि स्वीकार कीजिए।

और उसने छूरी से गुड्डू का गला काटा। उसके गले से खून की पिचकारियाँ निकलने लगी और खंडिया का चेहरा खून से भर गया। खरगोश उसके हाथ में तड़प रहा था, लेकिन खंडिया ने उसके शरीर से निकल रहे खून की पिचकारियाँ उस राक्षस के मुंह के अंदर लगाना शुरू कर दिया। उसके बाद उसने खरगोश के टुकड़े टुकड़े कर दिए और मूर्ति के चारों ओर बिखेर दिए। उसके बाद उसने उस मूर्ति को झुककर प्रणाम किया और मेरी तरफ आया।

चिंटू तुझे लगी तो नहीं?

उसने मुझसे पूछा लेकिन मैं उस पर बहुत ज्यादा गुस्सा था। उसने अपने एक अंधविश्वास में एक मासूम खरगोश की बलि दी। मैंने उसके सवाल का कोई भी जवाब नहीं दिया और मुंह फुलाकर में हाउस की तरफ चल पड़ा। खंडिया मुझे मनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मैंने उसकी एक नहीं सुनी। जब मैं मेरे फार्म हाउस में पहुंचा तो खंडिया मेरे पीछे से मेरा हाथ पकड़ा और मुझ पर चिल्लाते हुए बोला।

चिंटू तू समझ क्यों नहीं रहा? मैंने जो कुछ किया है मेरी और मेरी मां की खुशी के लिए किया। गुड्डू से मैं भी बहुत प्यार करता था लेकिन मेरे पास और कोई चारा नहीं था।

तभी उसकी आवाज सुनकर उसके पिताजी वहां पर आ गए। वह शराब के नशे में धुत थे। और रईस की औलाद मरने चला गया था। तेरी मां कब से तेरी फिक्र कर रही थी। वह नशे में झूलते हुए बोले।

मां फिक्र कर रही थी तो आपकी क्यों जान निकली जा रही थी? रोज की तरह हमारे पैसे से दारू पीकर सो जाते।
बत्तमीज बाप को जवाब देता है। 

ऐसा बोलकर उसने खंडिया को चपेट लगाई!

मारलो जितना मारना है मारलो। कल से आप मुझे मार नहीं पाएंगे।

खंडिया उनकी ओर देखकर गुस्से में बोला।

क्यों कल मर जायेगा? क्या तू है।

चिंटू? तभी मुझे मेरी मां ने आवाज लगाई और वह बगीचे में आ गई। कहां गया था इतनी देर से? मुझे कितनी चिंता हो रही थी तुम्हारी। आई ने मुझसे कहा।

कैसी हो चिंटू की मम्मी

उसके पिताजी ने मेरी आई की तरफ देखते हुए बोला। उसकी नजरें मेरी आय की तरफ किस नजर से देखती थी वो हम सब जानते थे। लेकिन आई खंडिया और उसकी मम्मी की ओर देखकर उनकी गलती को नजरअंदाज कर दी थी। ठीक हूं, आई नहीं कहा और वह मेरा हाथ पकड़कर मुझे अंदर ले जाने लगी।

अरे खाना खाया क्या चिंटू की मम्मी ?

वह पीछे से चिल्लाए। मैंने गुस्से से मुड़कर उनकी ओर देखा।

चिंटू आगे देख गंदे लोगों के मुंह नहीं लगते।

मम्मी ने कहा और वह मुझे अंदर ले गए। उस रात में उस खंडिया की बेरहमी के बारे में सोचता रहा। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि खंडिया इतना बेरहम हो सकता है। गुड्डू हमारा सबसे प्यारा खरगोश था। मैं उसे बहुत प्यार करता था। उस रात में जैसे तैसे सो गया। सुबह किसी औरत की रोने की आवाज सुनकर में उठ गया। वह औरत बहुत ही दर्द में रो रही थी। उसका रोना सुनकर मैं डर गया। जब मैं होश में आया तो मुझे पता चला कि वह आवाज खंडिया की मम्मी की है। में भागकर खंडिया के फार्म हाउस की ओर चला। फार्म हाउस के बाहर पुलिस वैन खड़ी थी तो मैं गेट से।

और मैं भाग कर खंडिया के फार्म हाउस की ओर गया फार्म हाउस के बाहर पुलिस वैन खड़ी थी। में गेट से अंदर चला गया। आगे लोगों की भीड़ थी, लेकिन दाई ओर मुझे कुछ लोगों की आवाज सुनाई दी। मैंने उस ओर देखा तो वहां दो पुलिस वाले शेरू की लाश के पास बैठे हुए पंचनामा कर रहे थे। शेरू खंडिया के पिता का पालतू कुत्ता था। उसका सर पत्थर से कुचला गया था। यह देखकर मैं बहुत ज्यादा घबरा गया। मैं सोचने लगा कि शेरू को इस तरह से कौन मार सकता है। खंडिया की मम्मी अभी भी जोर जोर से रो रही थी। मैंने भीड़ की ओर देखा तो उसमें मेरी आई खड़ी हुई मुझे दिखाई दी। में मां के पास जाकर खड़ा हो गया। और आगे का नजारा देख मेरे रोंगटे खड़े हो गए। आगे खंडिया के पिताजी की लाश पड़ी थी। उनका गले का मांस गायब था और चेहरे पर खरोंचे थी। खंडिया की ममी लाश के सामने बैठी रो रही थी। खंडिया लाश से दूर बस अपने पिताजी की लाश को घूर रहा था। लेकिन उसके चेहरे पर अपने बाप को खोने का कोई गम दिखाई नहीं दे रहा था। ठीक से बताइए क्या हुआ था?

एक पुलिस अफसर ने खंडिया की मां से पूछा।


सुबह खंडिया की चीख सुनकर मैं घर से बाहर निकली तो आंगन में जमीन पर खंडिया के पिताजी खून से लथपथ पड़े दिखाई दिए और खंडिया शेरू को मार रहा था। उसने शेरू के सर पर पत्थर से हमला किया और शेरू जमीन पर गिर गया। मैंने खंडिया से पूछा कि तुम उसे क्यों मार रहे हो तो उसने रोते हुए कहा कि मम्मी शेरू ने पिताजी को मार डाला। मैं जब बाहर आया तो पिताजी जमीन पर पड़े हुए थे और शेरू उनके गले का मांस खा रहा था। जिसको अपनी थाली में से मांस निकालकर खिलाते थे आज उसी ने उनके गले का मांस खा लिया।

ऐसा कहकर वह फूट फूटकर रो पड़ी। यह सुनकर तो मेरे होश ही उड़ गए थे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि शेरू ऐसा कर सकता है, क्योंकि शेरू घर में सिर्फ खंडिया के पिताजी की ही बात सुनता था। बाकी तो वह खंडिया और उसकी मां पर भी भौंकता था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि शेरू ने आखिर ऐसा क्यों किया। यह सोच रहा था। तभी मेरी आई की नजर मुझ पर पड़ गई और वह मुझे डांटते हुए घर ले गई। कुछ दो तीन दिन बाद एक रात खंडिया मेरे आंगन में आया। मैं उससे मिलने आंगन में चला गया। पिछली बार की तरह ही उसकी पीठ पर उसकी बेग थी। लेकिन आज वह हर रोज से कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहा था।

चिंटू जल्दी से चल, हमें खंडहर जाना है, लेकिन क्यों? क्योंकि मेरी इच्छा पूरी हो गई है और मुझे डंड राक्षस को धन्यवाद देना है। लेकिन तुम्हारी कौन सी इच्छा उस राक्षस ने पूरी कि है। मेरे पिताजी मर गए हैं।

वह खुश होकर बोला। मैं ज़रा सा उलझन में पड़ गया। मतलब तुम्हारे पिताजी मर गए। क्या तुमने राक्षस से उनकी मौत मांगी थी? हां हां बिल्कुल। उसने खुश होकर जवाब दिया। उसका जवाब सुनकर मैं कुछ देर चुप हो गया। लेकिन मैं अंदर से उससे बहुत ज्यादा गुस्सा था।

कैसे बेटे हो तुम? तूने खुद के बाप की मौत चाही, मेरे पापा नहीं है, तो मैं रोज उनके लिए रोता हूं। नास्तिक हूं।
लेकिन फिर भी भगवान से हर रोज यही प्रार्थना करता हूं कि मेरे पिताजी वापस आ जाए और तुम खुद के पिताजी की मौत पर खुश हो और राक्षस को उनकी मौत पर धन्यवाद देना चाहते हो।

मैंने न जाने कैसे कैसे शब्द उसके लिए निकाले। मैं उस पर बहुत चिल्लाया।

थू है तुझ पर तुझ जैसा बेटा किसी को न मिले। मेरे जिस बाप की तो बात कर रहा है ना, उसी की वजह से मैंने और मेरी मां ने बहुत कुछ झेला है। उसने कभी मुझे बाप की तरह प्यार नहीं किया। मेरी मां को उसने कभी एक देवी।
की तरह इज्जत नहीं दी, जब तक जिया। तो मेरी मां और मेरी। मेहनत के पैसों पर जिया। शराब के पैसों के लिए मां को पीटता था। मुझे पीटता था। मेरी और मेरी मां की जिंदगी का सबसे बड़ा दुख मेरा बाप था और उसी की वजह से मेरी छोटी बहन प्रिया इस दुनिया में नहीं है।
तब मुझे याद आया कि जब दो साल पहले फार्म हाउस पर मैं आया था तो खंडिया के साथ उसकी छोटी बहन भी थी और अब वह कह रहा था कि वह इस दुनिया में नहीं है। खंडिया क्या हुआ तो तुम्हारी छोटी बहन के साथ।

उस बरसात के मौसम में।

छोटी बीमार पड़ गई। एक हफ्ते से उसका बुखार कम नहीं हुआ था। इलाज के लिए ज्यादा पैसे भी नहीं बचे थे। तब एक रात पिताजी घर आये। छोटी को बीमार देख उन्होंने मगरमच्छ के आंसू बहा और बोले कि अब छोटी को इलाज के लिए शहर के अस्पताल ले जाना पड़ेगा। उस बरसात में पिताजी मां से इलाज के सारे पैसे लेकर गाड़ी लेने के लिए चले गए। छोटी हमारे सामने दर्द के मारे कराह रही थी। रात बीत गई सवेरा होने को आया था। तब उसने मेरे सामने अपना दम तोड़ दिया। लेकिन पिताजी वापस नहीं लौटे। पैसे खत्म होने के बाद दो दिन बाद घर आए। छोटी के अंतिम संस्कार में भी वह आदमी नहीं आया। तभी मैं समझ गया था कि इसे हमसे कोई वास्ता नहीं है। इससे मतलब सिर्फ हमारे कमाए हुए पैसों से है। बाप के प्यार के लिए मैं तरसता रहा, लेकिन उसने कभी मुझे प्यार नहीं किया। प्यार के बजाय हमें सिर्फ दर्द देता रहा। मैंने उसे अपने हाथों से मारने की कोशिश की लेकिन लेकिन मैं कर नहीं सका। बाप को अपने हाथों से मार नहीं सकता था, इसीलिए मैंने राक्षस से बाप की, मौत मांगी।

खंडिया की आंखें नम हो गई थी। उसने जो छोटी के बारे में बताया था, वह सुनकर तो मेरी आंखें भी नम हो गई थी। मुझे लगा कि खंडिया ने जो कुछ किया है ठीक ही किया। कम से कम उसकी मां और वह चैन से तो जी सकेंगे। मैंने खंडिया से माफी मांगी। क्योंकि मैं उसे गलत समझ बैठा था। लेकिन वह यह मानने को तैयार नहीं था कि उसके पिताजी की मौत उस राक्षस की वजह से हुई थी क्योंकि मैं नास्तिक था। मैं ना तो भगवान में विश्वास करता था ना ही भूत प्रेत राक्षस में। लेकिन खंडिया को डंड राक्षस पर अंध विश्वास था और वह उसका शुक्रिया करने के लिए वापस मंदिर में जाना चाहता था। इसलिए मैंने उसे हां करी और हम दोनों जंगल के रास्ते उस खंडहर की तरफ चलने लगे। मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे बैग में क्या है तो उसने बताया कि उसमें और एक खरगोश है। गुड्डू के बाद वह उससे ज्यादा प्यार करता था और राक्षस का शुक्रिया करने के लिए वह उसकी बलि चढ़ाने वाला है। तब मैंने उसे ऐसा करने के लिए मना किया। खंडिया

तुम अंधविश्वास में किसी मासूम की बलि नहीं चढ़ा सकते। यह राक्षस, भूत प्रेत ऐसा कुछ नहीं होता। अरे यह मेरा अंधविश्वास नहीं है। वह सच में है और उसी ने मेरी इच्छा पूरी की है।

तब हम दोनों में बहुत देर तक बहस हुई। मैं यह मानने को तैयार नहीं था कि वह राक्षस है। तब खंडिया बोला ठीक है।

अगर तुम्हें यह सब झूठ लग रहा है तो तू खुद उस राक्षस को देख मैं इस खरगोश की बलि दूंगा और वहां से चला जाऊंगा और कुछ दूर झाडिय़ों में छुप जाऊंगा। लेकिन तुम वही किसी दीवार के पीछे छुपकर उस राक्षस को मरे हुए खरगोश को खाते देखना तो तुम्हें मेरी बात पर विश्वास होगा।

मैं बस खंडिया को झुठलाना चाहता था। मैं जानता था कि खंडिया इन दो बल्लियों पर रुकने नहीं वाला है। वह आगे भी अपने अंधविश्वास में और जानवरों की बलि देगा। इसलिए उसे डंड राक्षस के अस्तित्व को झुठलाना बहुत जरूरी था। मैं तैयार हो गया। खंडिया ने राक्षस की मूर्ति के सामने उस खरगोश की बलि दी और वह वहां से चला गया। लेकिन मैं एक दीवार के पीछे से उस मरे हुए खरगोश के टुकड़ों की ओर देख रहा था कि तभी उस मूर्ति में जान आ गई और वो हिली। किसी आदमी की तरह वह हिल रही थी। उसकी आंखें लाल अंगारों की तरह दिख रही थी। वह किसी जानवर की तरह गुर्राया और जमीं पर बैठकर उस खरगोश के टुकड़े को खाने लगा। और मेरी आंखे फटी की फटी रह गई। इसका मतलब डंड राक्षस की कहानी सच थी। वह सच में था। 

तभी अचानक से न जाने कैसे उसे मेरी मौजूदगी का एहसास हुआ और उसने मेरी तरफ देखा। वह लाल आंखों वाला राक्षस मेरी तरफ देखकर गुर्राया, मैं डर गया और अपनी जान बचाकर वहां से भागा। रास्ते में खंडिया ने मुझे रोकने की कोशिश की, लेकिन मैं नहीं रुका। मैं सीधे फार्म हाउस जाकर रुका। मैंने खुद को अपने रूम में बंद कर लिया। मैं बेड के नीचे छिप गया। मुझे डर लगने लगा कि कहीं वह राक्षस मेरा पीछा करते हुए मुझ तक न पहुंच जाए। उस रात में बेड के नीचे ही छुपा रहा। और न जाने कब सो गया। लेकिन टेलीफून के रिंग से मेरी आंख खुल गई है। मैं बेड से बाहर आया। मैंने घड़ी की ओर देखा तो रात के 12 बज रहे थे। मैंने फोन उठाया तो फोन पर खंडिया था। वह काफी डरा हुआ था और रो भी रहा था।

चिंटू मुझे बचा, वह राक्षस। मुझे मार डालेगा। मैंने अभी सपना देखा कि वह राक्षस मेरे कमरे में आकर मुझे मार गया। यह सुनकर तो मेरे होश उड़ गए। खंडिया के सभी सपने सच हो गए हैं और यह सपनों से आया हूं। इसका मतलब यह वाला भी सच होने वाला था।

लेकिन वह तुम्हें क्यों मार डालेगा?

क्योंकि मुझसे गलती हुई, राक्षस को खाते हुए नहीं देखते। अगर उन्हें ऐसा करते हुए कोई देखता है तो वह उन्हें मार डालता है। लेकिन क्योंकि मैंने तुम्हें उसे खाते हुए देखने के लिए मजबूर किया था। मैं उसका गुनहगार बन गया हूं, इसीलिए इसलिए वह गुस्सा है। वह मुझे मार डालने वाला है।

यह सुनकर मैं डर गया क्योंकि मैंने खुद उसे बलि खाते हुए देखा था। खंडिया मुझे वह मुझे तो मार नहीं डालेगा न।

नहीं, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी, और वह तुम्हें नहीं मारेगा। क्योंकि वह चाहता है कि तुम उसकी पूजा करो। लेकिन तुम ऐसा मत करना।

उस मूर्ति को, वह आगे बोलने ही वाला था कि मुझे उसकी दर्द भरी चीख सुनाई दी। वह ज़ोर से चीखा और फिर उसकी आवाज बंद हो गए। मैं काफी डरा हुआ था। शायद मैं उस राक्षस का शिकार बन चुका था। सुबह खंडिया की मां ने जब खंडिया का कमरा खोला तो वही कमरे में खंडिया की लाश थी। उसने खुद के ही नाखूनों से अपना पूरा शरीर नोच डाला था और आखिर में अपने ही नाखूनों से खुद का गला फाड़।

वह बहुत डरावना मंजर था। सब जानते थे कि यह खुद खंडिया का किया धरा है। ज़रूर कोई बुरी शक्ति इसके पीछे थी। लेकिन जो भी सबूत मिले उसे देखकर पुलिस वालों ने इसे खुदकुशी करार दिया। लेकिन मैं जानता था कि यह खुदकुशी नहीं थी। इसके पीछे डंड राक्षस था। मैं उस राक्षस से काफी डरा हुआ था। मेरे भाई ने मुझसे पूछा कि क्या हम यहां से अपने घर चले जाएं। लेकिन मैंने इनकार किया। मैं वहीं रहना चाहता था क्योंकि मेरे मन में एक बहुत ही बड़ी इच्छा थी जो कोई भी भगवान पूरी नहीं कर सकता था। सिर्फ राक्षस मेरी इच्छा पूरी कर सकता था। खंडिया की मौत के चार पांच दिन बाद मेरी आजी और अजूबा फार्महाउस पर आए तो मेरी मां को दूसरी शादी के लिए मनाने के लिए आए, क्योंकि मेरे बाबा की मौत कुछ ही महीनों पहले कार एक्सीडेंट में हुई थी। 

मुझे लगा कि इस बार भी मेरी मां शादी के लिए मना कर देगी। लेकिन आई ने ऐसा नहीं किया। वह आजी-अजूबा की बातों में आ गई। मैं चाहता था कि आई शादी के लिए न करें। में मेरे बाबा के अलावा किसी और आदमी को मेरी आई के साथ नहीं देख सकता था। लेकिन शायद मेरी आई को लगता था कि वह मेरी परवरिश अकेले नहीं कर सकती। उस रात में आई से गुस्सा होकर कमरे में सोने चला गया। मैं सोच रहा था कि काश मेरे बाबा वापस आ जाएं। लेकिन सभी लोग कहते हैं कि मरा हुआ इंसान कभी वापस नहीं आता। उस रात में जैसे तैसे सो गया। लेकिन डोरबेल की आवाज सुनकर मैं नींद से जागा। मैं दरवाजा खोलने चला गया

और जैसे ही दरवाजा खुला तब मैंने देखा कि बाबा दरवाजे पर खड़े थे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरे बाबा वापस आ गए हैं। लेकिन तभी आई ने मुझे हिला कर नींद से जगा दिया। मैं समझ गया कि वह केवल मेरा सपना था। मैंने सपने में बाबा को देखा था, लेकिन जब मुझे पता चला कि वह मेरा सपना था तो मैं सोच में पड़ गया कि क्या मुझे भी खंडिया जैसे सपने तो नहीं आ रहे हैं। मतलब ऐसे सपने जो सच हो जाते हैं। मैं सोचने लगा कि क्या मुझे भी उस राक्षस की पूजा करनी चाहिए? और अगर खंडिया इच्छा में किसी की मौत मांग सकता है और राक्षस पूरी कर सकता है तो मैं भी मेरे बाबा को जिंदा कर सकता हूं। 

कुछ देर सोचने के बाद मुझे लगा कि अगर उस राक्षस की पूजा करने से मैं इस सपने को सच कर सकता हूं तो मुझे उसकी पूजा करनी चाहिए। तभी मेरी बिल्ली ने मेरे ऊपर छलांग लगाई। मैंने उसे प्यार से पास लिए और मेरे दिमाग में कुछ आया। मैं भी मेरी बिल्ली से बहुत प्यार करता था। इसका मतलब उसकी बलि राक्षस को चढ़ा सकता था। लेकिन दूसरी पल मैंने सोचा कि नहीं मैं इसकी बलि नहीं दूंगा। लेकिन फिर मैंने सोचा कि बिल्लियां बहुत मिलेंगी, लेकिन मेरे बाबा नहीं मिलेंगे। मैंने उस रात बिल्ली की बलि चढ़ाने की ठान ली। जैसे ही रात हुई, मैं मेरी बिल्ली को बैग में डालकर जंगल के रास्ते मंदिर की ओर निकल पड़ा। मंदिर यानी वह खंडहर। चलते चलते बहुत सारी बातें मेरे दिमाग में चल रही थी कि अगर राक्षस सभी इच्छा पूरी करता था तो किसने उसकी मूर्ति के तीन टुकड़े कर दिए। किसने उस मूर्ति के टुकड़े अलग अलग जगह पर छिपा दिए ताकि उसे भूल न जोड़ सके। 

शायद कोई चाहता था कि कोई भी उस राक्षस की पूजा ना करे। मैं सोचते हुए मंदिर के पास, तालाब से पानी लेकर मूर्ति को धोया। रात को खिलने वाले फूलों की माला मैंने उस मूर्ति के गले में पहना दी। मैंने उसके चेहरे की ओर देखा तो ऐसा लगा कि वह मेरी तरफ देख रहा है। वैसे मुझे इस बात का भी डर लग रहा था कि कहीं वह राक्षस और जिस तरह से उसने खरगोश खाया था, उस तरह मुझे ही न खा जाए। मैंने बिल्ली को हवा में उठाया और राक्षस की मूर्ति के सामने करते हुए कहा कि मालिक यह मेरी बिल्ली बहुत प्यारी है। 

मैं इससे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं। अगर यह न हो तो मैं सुख से नहीं रह सकूंगा। लेकिन केवल आपके खाने के लिए तो मैं इसको आपको बलि चढ़ा रहा हूं। बदले में आप मेरी एक इच्छा पूरी कर दो। और फिर मैंने मन ही मन इच्छा मांगी कि मालिक मेरे बाबा कार एक्सीडेंट में कुछ महीने पहले मर चुके हैं, आप उनको जिंदा कर दो और वापस हमारे पास भेज दो। उसके बाद मैंने न चाहते हुए भी वह छूरी बिल्ली के गले में रख दिया। मेरे हाथ कांप रहे थे। मुझमें हिम्मत नहीं थी कि में मेरी ही बिल्ली की बलि चढ़ा दूं। मुझे माफ कर दो डॉली और मैंने उसका गला काट दिया। उसके बाद मैंने उसके टुकड़े कर दिए और मूर्ति के चारों ओर

बिखेर कर मैं फार्म हाउस चला आया। मां के कमरे में चला गया। आई अगर बाबा वापस आए तो आप दूसरी शादी नहीं करोगी ना?

लेकिन यह मुमकिन नहीं है। मरे हुए कभी लौटते नहीं हैं बेटा।

लेकिन बाबा जरूर लौटेंगे। वहआएंगे आई ठीक है बेटा, तू जाकर सो जा।

दूसरे दिन दिनभर में बाबा के घर लौटने का इंतजार करने लगा, लेकिन दिन भर कोई घर नहीं लौटा। लेकिन रात में घर की डोर बेल बजी। मैं भागते हुए दरवाजे के पास गया और दरवाजा खोला और मैंने देखा कि दरवाजे पर मेरे बाबा खड़े हैं। मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ था। मैंने दोनों हाथो से उन्हें लपेट लिया। आई देख बाबा वापस आए। मैं जोर जोर से चिल्लाने लगा। मेरी आवाज सुनकर, आई अपने कमरे से बाहर आई। साथ ही आजी-अजूबा भी वहां पर आए। मुझे लगा था कि बाबा को देखकर सब लोग बहुत खुश हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें देखकर हर कोई डरा हुआ था। बाबा आई के पास गए और उसे गले से लगाया, लेकिन आई ने उन्हें दूर धकेल दिया। यह देख अजूबा आगे आया। उन्होंने बाबा की कॉलर पकड़ी और बोले।

बहरूपिए कौन है तू?

बाबा मैं आपका बेटा दिनेश हूं। बाबा ने कहा।

तू दिनेश नहीं है। मेरा बेटा एक्सीडेंट में मर चुका है और उसके शरीर को हमने जला दिया है।

अजूबा ने कहा और बाबा को घसीटते हुए घर से बाहर ले गए और दरवाजा बंद कर दिया। बाहर से बाबा बता रहे थे कि वो ही उनके बेटे हैं। आखिरकार मैंने आई, अजूबा-आजी को सबकुछ बता दिया। जो मूर्ति को जमीन के बाहर निकालने के बाद हुआ था और उन्हें यह भी बता दिया कि बाबा सच में मौत के बाद लौटे हैं वह सिर्फ डंड राक्षस की वजह से। लेकिन मेरी आई फिर से मुझ पर गुस्सा हो गए।

चिंटू बस करो वरना मार खाएगा।

उन्होंने कहा, लेकिन मैंने देखा कि अजूबा-आजी को कोई चिंता खाए जा रही थी। अजूबा सुबह मेरा यकीन करो। मैंने कहा, आई मुझे बस चांटा लगाने ही वाली थी कि तभी अजूबा ने उसे रोका और बोले रुक जाओ तो।

मुझे लगता है कि शायद चिंटू सच कह रहा है।

यह आप क्या कह रहे हो पापा?

हां, बहुत लोग कहते हैं कि मरे हुए वापस नहीं आया करते हैं, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। वह वापस आते हैं और जब उन्हें बुरी शक्तियों को खोज करके वापस मंगाया जाए। और चिंटू ने यही किया है। हमें जल्दी से यहां से निकल जाना चाहिए। हमारी जान खतरे में है।

यह आप क्या बोल रहे हो पापा, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

बहू ये सच बोल रहा है। कभी कभी मरे हुए लोग वापस आते हैं। हमारे गांव में भी एक लोहार मौत के बाद वापस लौट आया था। उसकी जलकर मौत हो गई थी। उसका 16 साल का बेटा अनाथ हो गया था, क्योंकि उसकी मां कुछ सालों पहले ही मर चुकी थी। लोहार की मौत के बाद वह लड़का न जाने कहां चला गया और जब चार साल बाद वह गांव में लौटा तो गांव के लोग अचानक से बीमारी से मरने लगे हैं और एक अमावस की काली रात वह वापस आ गया। लेकिन लोग उसे लोहार का बहरूपिया समझ रहे थे। उसने लोगों को बताया कि वह नरक से वापस लौटा है, लेकिन कोई उसकी बातों का यकीन नहीं करता था।

 हर कोई उसका मजाक बनाता। इसीलिए एक रात जब गांव के लोग सोए हुए थे, तब उसने सोए हुए उन लोगों को कुल्हाड़ी से काटकर मौत की नींद सुला दी, जो उस का मजाक बनाते थे और दूसरे दिन सुबह उसने अपना गुनाह कबूल भी कर लिया। तब गुस्सा हुए गांव वालों ने उसे जिंदा जला दिया। मरे हुए लोग जब वापस आते हैं तो वह क्रूर होते हैं। उसमें दया, प्यार ऐसा कुछ नहीं होता। वह निर्दयी होते हैं। और जैसे चिंटू ने बताया है, अगर दिनेश नरक से लौटा है तो वह हमारे लिए खतरा है और हमें जल्दी से ही यहां से निकलना पड़ेगा।

ऐसी बातें सुनकर मेरी आंखें भी चकरा गई थी। मैंने उसकी आंखों में डर देख लिया था। साथ ही मैं भी घबरा गया था। हम लोग पीछे दरवाजे से चुपके से कार की तरफ गए। में कार की चाबी लेकर आता हूं।

अजूबा ने कहा और आई आजी और मैं पिछले दरवाजे से पार्किंग में चले गए। लेकिन तभी कार के पीछे से बाबा बाहर निकले। वह गुस्से में थे। बुढ़िया कहां ले जा रही है? मेरे बेटे और बीवी को? उन्होंने गुस्से में आजी से कहा।अरे कुछ नहीं बेटा। चिंटू बीमार था तो हमने सोचा कि उसे अस्पताल ले आते हैं।

आजी ने डरते हुए कहा। तभी बाबा ने आजी को चपेट मारा और आजी नीचे गिर गई। बाबा बहुत गुस्से में लग रहे थे। झूठ बोलती है बुढ़िया उन्होंने कहा, और वो हमारी तरफ बढ़े। उन्होंने आई का हाथ पकड़ा और बोले बहुत दिन से हम दोनों ने साथ में रात नहीं गुजारी। चलो घर के अंदर चलते हैं। यह सुनकर मेरी आई घबरा गई। उन्होंने अपना हाथ बाबा के हाथ से छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन बाबा ने जोर से उन्हें पकड़ा था। तब बाबा गुस्सा हो गए और उन्होंने आई को भी चांटा मारा।

और आई नीचे गिर गए। बाबा ने आई के बाल प।और उसे घसीटते हुए घर के अंदर ले जाने लगे की तो भी अजूबा वहाँ पहुंचे और उन्होंने बाबा के जेल में भावना मारा। वैसे बाबा जमीन पर गिर गए। बहु उठ जाओ।जुबानी कहा और हम सब कार के अंदर बैठ गए। आज उन्होंने कहा स्टार्ट किया और वो गिर डालने ही वाले थे कि तभी मेरी नजर खिड़की के बाहर गए। 

जहाँ पर बाबा कुछ दिन पहले जमीन पर गिर गए थे, वो अब वहाँ पर नहीं थे, तभी मेरी नजर जाए। सीट की खिड़की ना गई, वह बाबा खड़े थे अजूबा खिड़की में देखिये मैंने चिल्लाकर उनसे कहा लेकिन तभी बाबी पर मारा और वो कहा से तोड़ कर सीधा अजूबा के सिर में घुस गया।बाबा ने आजोबा को फावड़े के साथ खिड़की से बाहर खींचा और वो उनके सिर में लगातार बाढ़ के बाद करने लगे हैं। ये देख मेरी तो चीख ही निकल गयी थी। मैं अपने होश में नहीं था, लेकिन तभी से आई आगे आयी और उसने कहा वहाँ से मैंने मार कर देखा तो बाबा अभी भी गुस्से में चिल्लाते हुए अजूबा केसर को फावड़े से कुचल रहे थे। 

हमारी कहर गेट के पास पहुंची दवाई ने वॉचमैन को होने जा कर के लिए कहा, लेकिन वॉचमैन अपने ऑफिस से बाहर ही नहीं रहा था, लेकिन पिछली सीट से मैं ऑफिस में पड़ीजमीन की खून से सनी लाश देख सकता था। आज ही ने भी वो देखा और वो खुद गेट खोलने के लिए कार से बाहर उतरीं। आज ही गेट खोल रही थी की तभी मैंने खिड़की से पीछे देखा कि बाबा हाथ में फावड़ा लिए कार की ओर भागते हुए रहे हैं। रुकवा दिया तुझे आज नहीं छोडूंगा आजी जल्दी करो बाबा रहे हैं मैं चिल्ला या आज इन्हें थोड़ा गेट खोल दिया था लेकिन उसमें से कहा नहीं जा सकती थी। आज जी जल्दी आओ।तू पास गए हैं, बस रही हूँ। 

आजी  ने कहा, तब तक आज ही ने कहार गुजर सके इतना गेट खोल दिया था और वो दरवाजे की तरफ आई लेकिन वो अंदर आये इससे पहले ही बाबा ने उनके सामने भी भावना मारा और आज ही जमीन पर गिर गई।मैं और आई ज़ोर से ठीक है। मैं रोने लगा लेकिन आई ने कहर वहाँ से मंगाई। मैंने मुड़कर देखा तो बाबा आज ही के सर में भी बार बार बावरे से हमला कर रहे थे और आज ही का सर कुचल रहे थे। यदि एक मैं रो पड़ा, मेरी गलती की वजह से आज मेरे आज ही आजमाएं। इस दुनिया में नहीं थे।अरे मेरी गलती की वजह से खंडिया मर चुका था और अब आज ही अजूबा हम लोग कार से पहाड़ उतर रहे थे।

शायद हम वहाँ से कहीं दूर जाने वाले थे, लेकिन मैं जानता था कि बाबा हमारा हर जगह पीछा करेंगे और जो गलती खंड है और मैंने उस मूर्ति को बाहर निकाल कर की थी, वो मुझे सुधारनी भी थी क्योंकि अगर मैं और आई वहाँ से निकल जाते तो कोई दूसरा मासूम उस राक्षस के जाल में फंसता और उसकी पूजा करता। कहर को तालाब के पास वाले खंडहर की ओर लो। हमें कैसे भी करके उस राक्षस को रोकना होगा।उसी की शक्ति की वजह से बाबा वापस आए हैं और अगर वो राक्षसी ना रहा तो उसकी शक्तियां भी नहीं रहेंगी और ना ही बाबा रहेंगे तब हम बाबा से बच जाएंगे और बाकी मासूम लोग भी उस राक्षस का शिकार नहीं होंगे। लेकिन हम उस राक्षस को कैसे रोकेंगे? तो मुझे खंडिया के करीब हुई याद ही बात याद आई। 

उसने कहा था की मूर्ति को तोड़ दो हमें हमें उस राक्षस की मूर्ति पहले जैसे ही तोड़नी होगी मेरी कहते ही आईना पहाड़खंड आई की तरफ मोदी हम लोग जंगल के खाली रास्ते से आगे बढ़ रहे थे।ये काफी बाबा जंगल से रास्ते पर गए और उन्होंने हाथ में बताया कहा के कांच पर दे मारा, भाई डर गई और कहा पर से कंपनी खो बैठी और कहा बाजू वाली पीढ़ी से जाके आए लेकिन सीट बेल्ट और एयरबैग होने की वजह से हमें ज्यादा चोट नहीं लगी। 

भाई ने मुझे जल्दी से कार से बाहर निकाल।और हम दोनों जंगल में भागने लगे। बाबा भी वो खूनी पागल लेकर हमारा पीछा करने लगे। हम लोग भाग रहे है जी पर गिर पड़ी। मैंने उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन मैं उन्हें उठा नहीं पा रहा था। कहाँ तक मांगोगे तुम? दोनों जहाँ भी भागोगे वहाँ पर जाऊंगा और दोनों के सिर कुचल दूंगा। बाबा किसी जानवर की तरह जीत रहे थे। उनकी आवाज बस कुछ ही दूर से रही थी। बेटा तुम जाओ, वो खंडार इस तरफ है, तुम जल्दी से जाकर उस मूर्ति को तोड़ दो।मैं यहीं कहीं छिप जाउंगी नहीं, मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊंगा। मैं बाबा को नहीं छोडूंगा, मार दूंगा उन्हें मैं जमीन पर पड़ी लाठी उठाकर रोते हुए बोला क्योंकि मैं उन्हें नहीं गंवाना चाहता था। 

अब उनके सिवा मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं था, लेकिन वह जिद पर अड़ी रही। तभी मैंने पीछे से बाबा को आते हुए देखा, बेटा तुझे मेरी कसम है, तू नहीं गया तो देख मैं अपनी जान दे दूंगी।आइने जमीन पर पड़ा। पत्थर अपने सिर पर रखते हुए कहा ये देखना रो पड़ा और ना चाहते हुए भी आइ को वहीं छोड़कर खंडहर की और भागा। मैं भागी रहा था की तू भी मुझे ही दर्दनाक चीखें सुनाई, लेकिन मेरे मैं व्रत खंडार की और भागने लगा। भागते भागते। कुछ ही देर में मैं खंडार पहुंचा। वो राक्षस की मूर्ति वहीं खड़ी थी, तभी आयी थी। एक दर्दनाक जी को उस जंगल में गूंजी और फिर आई की आवाज़ हमेशा हमेशा के लिए बंद हो गयीं।

मेरी आँखों में आंसू गए।और मैंने उस मूर्ति को गुस्से में आकर लो तुम्हारी मूर्ति नीचे गिरी और उसके तीन टुकड़े हो गए। वैसे ही जंगल से बाबा के चिल्लाने की आवाज आने लगी। वो दर्द के मारे चिल्ला रहे थे यहाँ देखने आई की और भागा और जब मैं वहाँ पहुंचा तो मेरी सांसे रुक गई। वह भयानक मंजर देखकर मेरी दिल की धड़कनें मनोरोग से गयी थी।और मैं फूट फूट कर रो पड़ा, क्योंकि एक पेड़ टूटे हुए टहनी में मेरी हाई का शरीर घुसा हुआ था और उनका सिर कुचला गया था। वहीं जमीन पर वो खून से सना फावड़ा भी पड़ा हुआ था और उसके पास ही जमीन पर एक शरीर जल रहा था जो की मेरे बाबा का ही था। 

शायद उनकी जान चली गई थी। राक्षस के नाम गर्मी करते हैं, उसकी शक्तियां भी बिखर गई और नारद से लौटे मेरे बाबा आग में जल उठे और फिर मर के वही लौटे जहाँ से वो आये थे। उस दिन मैंने अपना सबकुछ गंवा दिया।ना मेरे पास आई बाबा थे।ना प्यार करने वाले आज ही आज सुबह मैं अनाथ बन गया।सिर्फ और सिर्फ मेरी वजह से अगर खंड या नहीं मरते वक्त जो मुझे बताया था अगर मैं वो करता यानी की उस मूर्ति को तोड़ देता तो आज मेरे परिवार वाले जिंदा होते। उसके बाद मैंने उस राक्षसी मूर्ति की अनगिनत टुकड़े की और दूर दूर के इलाकों के तालाबों में फेंक दी है ताकि कोई भी अनजान फिर से उसे जोड़ ना पाए।

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