तंत्रिक का शैतानी खेल Horror Story
Horror Story In Hindiतंत्रिक का शैतानी खेल
AUTHOR BY :- REGAR RAJESTHANI
पीयूष जब 3 साल का था उसकी माँ की अचानक की मौत हो गई थी तब से उसके पिताजी शिव ने उसे बड़े लाड प्यार से पाला था उसके प्यार में कभी कोई कमी ना रहे इसलिए शिवने कभी दूसरी शादी नहीं की थी |
शिव एक फारेस्ट ऑफिसर था उसे सरकार से सब कुछ मिलता था गाड़ी, बंगला ,पैसा और इसी के साथ एक और चीज भी मिलती थी “सरकारी आर्डर” साल के पाहिले दिन एक जनवरी को शिव को इ मेल मिला उसका तबादला देवगड़ में किया गया है और उस रात को उसे देवगड़ के लिए रवाना होना था शिव ने बड़ी मीनते करेक और वादे करके अपने बेटे पीयूष को नुई जगह शिफ्ट होने के लिए मना लिया था वह दोनों सुबह 10:30 बजे देवगड़ पहुंचे देवगड़ पहुचने के बाद वहा का मनमोहक नजारा देखकर |
ख़ुशी से चिल्लाते हुए पीयूष यहा वहा भागने लगा. क्योंकी वहा बच्चो के खेलने के लिए एक बड़ा पार्क था जीसमें बहुत सारे झूले फिसलपट्टी, स्वमिंगपूल और बहुत कुछ था पीयूष को खुश देखकर शिव के नए सेक्रेटरी श्याम के मुंह से निकल गया आपसे पहले वाले एक अफसर ने यह पार्क उनके बच्चो के लिए बनवाया था उसकी इसबात पर बगल में खड़े दुसरे बड़े अफसर ने श्याम चुप रहने का इशारा किया |
लेकिन वह सुनकर शिव मुह से वह निकल ही गया जिसे वह अफसर सुनना नहीं चाहता था शिव बोला वैसे कहा तबादला हुआ उस पार्क बनाने वाले अफसर का ? तभी अचानक पियूष पैर फिसल कर स्वमिंग पूल में गिरपड़ा और उसे बचने के लिए शिव बिजली की रफ़्तार से दौड़ा और किसी धनुष से निकले तीर की तरह पानि मे कूद गया और उसने कुछ ही सेकंड्स में पियूष को पानी से बाहर निकला |
उस वक़्त दूसरा बड़ा अफसर इस बात का शुक्र मना रह था की शिव ने अपने पूछे हुए सवाल का जवाब वापस नहीं माँगा शिव ने पियूष को बंगले में ले लेजाकर बेड लेटा दिया कुछ समय आराम करने के बाद पियूष फिरसे उछल कूद करने लगा सेक्रेटरी ने शिव को उसकी जिमेदारिया समझा दी शिव की हद में १०० एकर का जंगल था और उसका सरकारी बंगला उसी जंगल सीमा पर बनाया था शिव ने गार्ड्स को बुलाया और जंगल का राउंड मारने के लिए|
गाड़ी निकलने का आदेश दिया. जाते जाते उसने सोचा की क्यों ना पियूष को भी जंगले दिखाके लाऊ कोइ खरगोश या हिरन दिख गया तो खुश हो जायेगा बच्चा इस तरह से उसने पियूष को भी अपने साथ में ले लिया गाड़ी में शिव ने श्याम और वहा के एक पुराने गार्ड के चहरे पर डर पहचान लिया था फिर शिव ने वह सवाल पूछ लिया जो कुछ समय पहले टल गया था उसने ने पूछा श्याम वो पुरने अफसर का तबादला कहा हुआ है? ये तो तुमने बताया ही नहीं और वो बड़े साहब उस बात को टाल क्यों रहे थे? श्याम ने कुछ ठीक से पता नहीं ऐसा जवाब दिया पर इस बात से शिव सहमत नहीं था फिर थोडा दबाव डालने पर सेक्रेटरी ने सबकुछ बताना शुरू किया |
एक गार्ड ने उसे रोकने की कोशिश की थी पर जॉन ने उसका भी उसने पेट चिर कर अंतड़ियां बाहर निकल दी थी हम जब सुबह वहा पहुचे तब उसकी बेटी की लाश पूल पे सफ़ेद होकर तैर रही थी उसके नजदीक ही उसके बेटो के काटे हुए हाथ पैर और सिर के टुकड़े पड़े थे.उसकी बीवी की जली हुई लाश आंगन में पड़ी थी और जॉन लाश पेड़ पर लटक रही थी बहुत ही डरावना नजारा था.बादमे उसके परिवार समित उसे भी सरकार ने जंगल के बीचो- बीच तालाब के पास दफनाया था शिव ने सवाल किया की ये सब होने तक बंगले के बाकि नौकर चाकर क्या कर रहे थे |
सेक्रेटरी श्याम बोला उसने ये डरावना पागलपन योजनाबद्ध तरीके से किया गया था उस रात उसने सभी नौकरों को कुछ पैसे देकर अगली सुबह 12 बजे तक छुट्टी दे दी थी पर सरकारी आदेश अनुसर 2 गार्ड बंगले पर रुके थे एक को तो उसने भयंकर मौत दे ही दी थी पर दूसरा कुछ एसी डरावनी चीज देखकर भागा था की वो हमेशा के लिए पागल होगया है.हमने उसे जंगल में से पकड़ा था अब वो सरकरी मेंटल हॉस्पिटल में है उस पर उपचार चल रहे है |
वो बार बार कहता है की वो हर अमावस्या को आयेगा और एक एक बलि ले जायेगा उस दिन से आज तक जो भी अमावस्या की रात उस बंगले में रुकता है वह सुबह पेड़ से फांसी लेकर आत्महत्या करलेता है तब से हर अमावस्या की रात यहा किसी को रुकने नहीं दिया जाता गाँव के पुराने पंडितजी ने बताता है की जॉन की रूह यहाँ रुकने वाले के शरीर में प्रवेश करके उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करती है इसीलिए लोग मरते है उसे हरवक्त अपने काम के लिए एक शरीर चहिये होता है और आज भी जॉन की क्रूर आत्मा जंगलो में भटकती है न जाने भगवान उसे कब मुक्ति देगा पूरी कहानी सूनाने के बाद श्याम बोला सर कल अमावस्या है |
आप भी बंगाल छोड़कर गाँव में रुकिएगा. शिव ने कहा श्याम किसी को तो इस परेशनी का हल निकलना होगा ऐसा कब तक वह शैतान मासूमों की जान लेता रहेगा और चुनौतियों से तो मै आज तक नहीं भागा इतना बोल कर वह खामोश हो गया शिव को अपनी नहीं पर पियूष की चिंता सताने लगी थी उसने मन ही मन तय की पियूष को कुछ दिनों के लिए.उसके मामा के घर भेज देना ठीक रहे गा और खुद ही इस जॉन की आत्मा को हमेशा के लिए नरक में भजे कर ही दम लेगा शाम होते होते गाड़ी बंगले पे पहुंची सब बिना कुछ कहे गाड़ी से उतर के अपने अपने काम में जुट गए |
उनके जंगल से आने तक नौकरों ने रात के खाने की तैयारी कर ली थी सभी गार्ड्स रातका खाना खतम करके नाईट शिफ्ट मे तैनात हो चुके थे और गाँव के लोग जो खाना बनाने और साफ सफाई के लिए आते थे वह तो दिन ढलने के बाद ही राम राम का जाप करते हुए अपने घर पहुचं चुके थे क्योंकि गाँव के लोग उस बंगले में रातको रुकने से डरते थे शिव ने रातके खाने के बाद पियूष को सुला दियाऔर खुद भी लेटे लेटे सोचने लगा की शिव के मामा संग्राम से फोने करके मदत मांग ही लू वो बगीचे में जाकर एक बेंच पर बैठा और सिगार सुलगाने लगा तभी सन्नाटे को चीरती हुए आने वाली एक चीख ने उसे डरा दिया वो आवाज गार्ड्स की थी शिव गेट की तरफ तेजी से भागा वहा पहुचने पर जो नजारा शिव की आँखों ने देखा था उससे उसका कलेजा कांप उठा |
क्योंकि मौत का तांडव शायद अमावस्या से पहले ही शुरू हो चूका था उन दोनों गार्ड्स की लाशे गेट के पास ही पड़ी थी शिव ने वक्त जाया नहीं किया वो तेजी से पियूष के कमरे में पहुचा
पर पियूष अपने बेड पर नहीं था शिव उसे आवाजे देते हुए सभी कमरों में देखने लगा शिव की आवाज सुनके श्याम अपने कमरे से बाहर निकला शिव ने बाहर जो कुछ देखा उसे सब बता दिया फिर दोनों मिलके पियूष को धुंडने लगे तभी स्विमिंग पूल के पानी में कुछ जोर से के गिरने की आवाज आयी दोनों घर के बाहर स्वमिंग पूल की तरफ भागे |
वहा स्वमिंग पूल पर पियूष एक आदमी के साथ पानी पर खड़ा था.श्याम कांपती आवाज से बोला “जॉन डिसूज़ा” वो प्रेतआत्मा शिव को देखकर हंस रही थी मानो वो पियूष को अपने साथ किसी और दुनिया में लेजाने आया हो घबराहट से शिव की सांसे फूल रही थी उसी वक़्त वो जोर से चिल्लाया और उठके अपने बेड पर बैठ गया क्योंकि वो सिर्फ एक बुरा सपना था और पियूष उसकी बगल में अपने टेडी बेअर से लिपट कर सो रहा था उसके बाद शिव ने संग्राम को फोन करके कुछ देर बात करली |
फोने रखने से पहले संग्राम सिर्फ इतना ही बोला की मै समय पर पहूच जाऊंगा क्योंकि दुसरे ही दिन ही अमावस्या थी शिव पियूष के साथ हनुमान जी के मंदिर माथा टेक आया और वहा के पुरने पंडित से पहचान भी कर ली शिवने एक रात के लिए पंडित जी के पास शिव को रखने की मंजूरी ले ली और सुबह अपने कामो में लग गया श्याम होने के साथ ही सभी गाँव के कर्मचारी डरते हुए अपने अपने घर जा चुके थे शिव की हिम्मत देखके उसके साथ 2 गार्ड्स और सेक्रेटरी श्याम भी रुका था |
शिव ने उन्हें अपनी योजना बताना शुरू किया शिव ने कहा जॉन की रूह को अपने काम को अंजाम दने के लिय एक शरीर की आवश्कता होती है उसे हमसे किसीको मारने से पहले उसके शरीर में प्रवेश करना होगा तो हम सबको बस उसे कुछ देर के लिए उलझना है. जिसके शरीर में जॉन की आत्मा होगी उसे पकड़कर या फिर बांध कर रखना है उसके बाद उसे हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाएगी ठीक रात के 12 बजे एक गार्ड ने श्याम का गला दबाने की कोशिश की उसे काबू में रखने के लिए सबने उसे पकड कर रखा पर उसमे इतनी ताकत आगई थी की उसने सबको दूर फैंक दिया |
किसी तरह उस दुसरे वाले गार्ड और श्याम ने उसे रस्सीयो में फसा कर कुछ समय के लिए काबू कर लिया तब तक शिव ने बन्दूक की एक गोली आसमान में चलाकर किसीको सिग्नल दिया और कुछ ही मिनीटो में रस्सियों में बंधा हुआ वह गार्ड एसी हरकते करने लगा जैसी किसी ने उसको जला दिया हो उसवक्त जंगल के बीचो बीच गाँव के पंडितो और संग्राम जॉन डिसूज़ा को उसकी कब्र में ही जला रहे थे और कुछ ही समय बाद वह गार्ड नार्मल होगया बाद मे शिव ने सबको समझाया की कालेजादू की किताब में एक रस्म है जिससे जॉन उस कब्र में रहते हुए भी जिंदा था यहा उसकी आत्मा सिर्फ अपनी भूक मिटने अति थी |
जो की किसी मासूम की जान लेकर मिटती थी और उस किताब के अनुसार अगर मरने के बाद भी जॉन ने. १०० इंसानों की बलि पूरी की होती तो वह अपने कब्र में से जिन्दा होकर हमेशा के लिय अमर होजाता इसलिए ये मायाजाल मैंने उसके लिए रचा था ताकि वो कब्र छोड़ कर यहा आये और वहा हमारे लोग उसकी लाश को कब्र में ही जला सके श्याम ने पूछा की आपको ये सब कैसे पता चला शिव ने जवाब दिया तुमने ही बताया था की जॉन पास जादू टोन की किताबों का भंडार है वह भंडार में मुझे रातको तैखाने में मिला उसमे एक काले जादू से अमर होने की किताब थी. और उसपर नाम लिखा था “जॉन डिसोजा”
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