गुंगट
AUTHOR -: REGAR RAJASTHANI
एक गांव में एक बड़ा हवेली हुआ करती थी। इस हवेली का नाम था "गुंगट"। यह हवेली पुरानी और डरावनी कहानियों से भरी हुई थी। इसलिए गांव के लोग इसे बहुत डर से देखते थे। बहुत से लोग इसे पुरानी क़िस्से कहते थे, जिसमें कहा जाता था कि इस हवेली में एक भूत रहता है।
गुंगट || Hindi Horror Stories || Haunted Hindi Horror Stories
एक दिन,
एक युवक नाम राहुल ने यह
सुनकर गुंगट की तलाश में अपने दोस्तों के साथ जाने का फ़ैसला किया। सभी लोग संयम
बनाकर खड़े हो गए और रात के समय गुंगट की ओर चल दिए।
जब वे
हवेली पहुंचे, तो वे
देखा कि यह वाकई में बहुत डरावनी है। दरवाज़े पर एक वेल्कम बोर्ड पर लिखा था,
"स्वागत है
गुंगट में। कृपया सावधानी से आगे बढ़ें।"
ये
देखकर राहुल के दोस्त डर गए, लेकिन राहुल ने उन्हें समझाया कि वे डरने की
ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहा, "हम बस यहां कोई राज खोजने आए हैं, और कुछ भी खतरनाक नहीं होगा।"
फिर
सभी लोग फिर सभी लोग धीरे-धीरे हवेली के अंदर चले गए। हवेली का माहौल अत्यंत
संकीर्ण था। उन्हें अंधेरे और आवाज़ की अजीब सी गूंज सुनाई दे रही थी। वे एक
पुरानी परत को हटाते हुए उसे खोलने की कोशिश करने लगे।
जैसे
ही परत हटी, वे एक
विचित्र संदेश पर प्रकट हुए। वह लिखा था, "अगर तुम यहां आ गए हो, तो यह अर्थी तुम्हारी हो सकती है।"
सभी
लोगों को देखकर डर और उत्सुकता का एक अजीब मिश्रण महसूस हो रहा था। राहुल, अपने दृढ़तापूर्वक दोस्तों के पीछे बढ़ा रहा था।
अचानक,
उन्होंने गहरी आवाज़ सुनी। "कौन
है वह?" एक
भूतों की आवाज़ थी, जो
ज़ोर से चिल्ला रहा था। सभी लोगों को डर सा लगने लगा।
राहुल, अपने दोस्तों को शांत करते हुए बोला,
"हमें यहां से
बाहर निकलना चाहिए। शायद यहां सचमुच भूत है।"
सभी
लोग अदरक से बहार निकलने की कोशिश करने लगे, लेकिन दरवाज़ा अचानक बंद हो गया। वे सभी डर के
मारे एक दूसरे की ओर देखने लगे। उन्होंने ध्यान दिया कि हवेली के अंदर कुछ बदल गया
है। दीवारों पर ताले और चेन लगे हुए थे, जैसे किसी जेल में होते हैं।
तभी
उन्होंने दूसरी ओर से एक आवाज़ सुनी, "तुम सब यहां फंस गए हो। तुम बाहर नहीं निकल
सकते।"
सभी
लोग डर से काँपने लगे। राहुल ने निडरतापूर्वक एक सुझाव दिया,
"हमें एक साथ
मिलकर समय निकालना होगा। हमें इस भयंकर हवेली से बाहर निकलने के लिए उपाय ढूंढ़ना
होगा।"
वे सभी
बात करने और रणनीति बनाने में लग गए। वे एक भूतिया कमरे में जा पहुंचे, जहां सभी दरवाज़े और जालीदार परतें
थीं। राहुल ने एक छोटी सी कटार निकाली और उसे इस्तेमाल करके
उन्हें खोलने का प्रयास किया।
धीरे-धीरे
वे सभी दरवाज़ों को खोलने में सफल हुए। वे बाहर निकलने के लिए एक दौड़ शुरू कर दी।
परंतु जब वे बाहर पहुंचे, तो
उन्होंने देखा कि हवेली के आस पास एक वृक्ष के आसपास एक बड़ी गुंगट थी। गुंगट
के चारों ओर उजागर हुए हजारों आत्माओं की झलक उन्हें डराने लगी। सभी लोगों को एक
अनजान शक्ति की मौजूदगी का अहसास हुआ। गुंगट से आवाज़ें आईं, "तुम सबका स्वागत है मेरे गुंगट में।
मैं एक पुरानी आत्मा हूँ जो इस हवेली को विरान करने का प्रयास कर रही है। लेकिन
तुम सबने मेरे जाल से मुक्त होकर मेरी ताकत को तोड़ दिया है।"
राहुल और उसके दोस्तों के आंदर नई संकल्प और वीरता की
भावना जाग उठी। वे गुंगट के पास पहुंचे और भयानक आत्मा से सामना करने के लिए तत्पर
थे।
आत्मा
ने उन्हें आगे बढ़ने की चुनौती दी। राहुल और उसके साथी ने एक मनोबलपूर्वक
युद्ध की तैयारी की और उसे स्वीकार कर लिया।
युद्ध
शुरू हो गया। राहुल और उसके दोस्तों ने ब्रह्मास्त्र की तरह विचित्र
शस्त्रों का उपयोग किया। वे आत्मा के प्रति निडरतापूर्वक हमला करने लगे। आत्मा
की शक्ति कमजोर पड़ने लगी और वे उसे धीरे-धीरे परास्त करने में सफल हो गए। राहुल ने
अपनी ब्रदरस्ट कटार से आत्मा को प्रहार किया और उसे बंधन में ले आया।
जैसे
ही आत्मा बंधन में आई, गुंगट
के चारों ओर अचानक चमक उठी और गुंजाइश की थाप बजी। राहुल और उसके दोस्त चौंक गए, क्योंकि उन्होंने यह सोचा था कि वे
जीत चुके हैं।
एक
उज्ज्वल रौशनी के साथ वे देखते हैं कि एक प्राचीन महापुरुष, जिसका रूप गुंगट के आत्मा की आंखों
की मानों में पल रहा था, उनके
सामने आया।
महापुरुष
ने कहा, "तुम
लोगों ने मेरी आत्मा को मुक्ति दिलाई है। मैं यहां पूरी दुनिया के भय को दबाने के
लिए एक नया प्रयोग कर रहा था, लेकिन
तुमने मुझे सत्ता से महरूम कर दिया।"
राहुल ने मान्यता के साथ कहा, "हमारा इरादा केवल आत्मा के अंदर की
बुराई को नष्ट करने का था। हम किसी के साथ अन्याय नहीं करना चाहते।"
महापुरुष
ने मुस्कान किया और कहा, "
"तुम्हारी
ईमानदारी और साहस को मैं सराहता हूँ," महापुरुष ने कहा। "तुम्हारे व्यक्तिगत
योग्यता के आधार पर, मैं
तुम्हें वरदान देता हूँ। तुम्हारे इस साहसिक कार्य की प्रशंसा की जाती है और
तुम्हें सदैव साहस और न्याय का पालन करने की शक्ति मिलेगी।"
राहुल और उसके दोस्त अभिवादन करते हुए धन्यवाद दिया और
धीरे-धीरे हवेली से बाहर निकलने के लिए रास्ते खोजने लगे। सभी लोग अपनी जीवन और
दृढ़ता के साथ वापसी की ओर चले।
वे
गुंगट से दूर होते हुए भयानक आत्मा की दहशत भी खत्म हो गई। हवेली से बाहर निकलकर राहुल और
उसके दोस्तों ने एक दूसरे के हाथ थामकर एक उज्ज्वल भविष्य की ओर आगे बढ़ना शुरू
किया।
गुंगट
की कहानी उनकी सोच को परिवर्तित कर देती थी। यह एक संकट का समय था, जिसने उन्हें अपने सबसे अधिक साहसी
और प्रशासकीय क्षमताओं का उजागर कर दिया। गुंगट की भयानकता से वे एक नया स्तर चढ़
गए अब राहुल और
उसके दोस्तों के लिए नए और रोमांचक संघर्षों का समय शुरू हो गया। उन्होंने विभिन्न
भयानकताओं का सामना किया, जिन्हें
वे पहले कभी सोच भी नहीं सकते थे। धैर्य और विश्वास के साथ, वे हर संघर्ष को पार करते गए और
आत्मनिर्भरता और साहस के माध्यम से विजय प्राप्त की।
राहुल और उसके साथी ने वैशाली शहर को छोड़ दिया और
अपने यात्रा को जारी रखा। उन्होंने नई जगहों का अन्वेषण किया, खोज किया और अनजाने मायनों में खुद
को पाया। उनकी कड़ी मेहनत और संकल्प ने उन्हें अद्वितीय रूप से मजबूत और सशक्त बना
दिया।
अन्त
में, राहुल और उसके दोस्तों ने अपने जीवन के नए अध्याय को
शुरू किया और विजयी रूप से आगे बढ़ते रहे। वे सभी मिलकर सच्ची मित्रता और सहयोग का
आनंद लेते रहे और अपनी सफलता के लिए एक दूसरे का समर्थन करते रहे।
MORAL -: इस गुंगट की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि भयानकता और चुनौतियां हमें हमेशा मजबूत और विजयी बनाने का मौका देती हैं। जीवन में हमें अनिश्चितता और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन हमारी इच्छाशक्ति, साहस और विश्वास हमें हर मुश्किल को पार करने की क्षमता प्रदान करते हैं। हमें डर से नहीं, बल्कि उसके सामने खड़े होकर उसे मात देना चाहिए।
राहुल और उसके दोस्तों ने अपने अनुभवों से अनमोल ज्ञान प्राप्त किया और उसे अपने जीवन में उतारा। वे सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने और उनके चारों ओर के लोगों को साहस, समर्पण और दृढ़ता की आवश्यकता का एहसास कराया।
गुंगट की कहानी ने बताया कि जब हम अपने अंदर के भयों से मुक्त होते हैं और साहस से अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हैं, तो हम किसी भी संघर्ष को परिणामस्वरूप विजयी बना सकते हैं। यह हमें यह सिखाती है कि हमारे अंदर छिपी हुई साहसिक शक्तियों को जागृत करना हमारी सफलता की कुंजी है।
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