Bhool Bhulaiyaa 2: The Haunting Continues, Horror Story

"Lost in the Maze of Fear: Bhool Bhulaiyaa 2 Returns with Hair-Raising Horror" 

शुभम और चेतना की शादी को अभी एक ही साल बीता था। वो लोग पहली बार एक साथ रोड ट्रिप पर निकले थे और इसी के चलते वो बहुत एक्साइटेड थे। वो दोनों अपनी डेस्टिनेशन पर सुबह जल्दी पहुंचना चाहते थे इसलिए उन्होंने रात में ही ड्राइव करने का डिसीजन लिया। लगभग आधा रास्ता कवर करने के बाद अचानक से आसमान में घने बादल छाने लगे और जोरो से बिजली कड़कने लगी।

"Bhool Bhulaiyaa 2 Unleashes Terror: A Bone-Chilling Sequel to the Classic Thriller" 

इससे पहले कि वो दोनों कुछ सोच पाते वही काले बादल भयानक तरीके से बरसना शुरू हो गए। कुछ ही पलों में एक भयंकर तूफान आ गया और शुभम को गाड़ी चलाने में भी बहुत ज्यादा दिक्कत होने लगी। बारिश इतनी तेज थी कि शुभम आगे कुछ देख ही नहीं पा रहा था।

"The Enigma Unravels: Unveiling the Dark Secrets of Bhool Bhulaiyaa 2's Haunted Madness"

उसने गाड़ी रोड के साइड में लगा दी। तूफान अब इतना बढ़ चुका था कि चेतना घबराने लगी। तभी शुभम को रोड की बाईं तरफ एक बड़ी सी हवेली दिखाई दी। वह वहां जाना तो नहीं चाहता था पर तूफान के रुकने के कोई आसार नहीं लग रहे थे और रोड पर रुके रहना उसे सेफ नहीं लग रहा था। शुभम ने अपनी गाड़ी उस हवेली की तरफ ले ली। वह हवेली बहुत ही बड़ी और खूबसूरत थी।

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गाड़ी से उतरकर उन्होंने उस हवेली का बड़ा सा दरवाजा खटखटाया पर किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला। कुछ देर तक दरवाजा खटखटाने पर भी कोई नहीं आया तो उन्हें लगा कि शायद घर पर कोई नहीं है। वह दोनों वहां से जाने लगे कि तभी बाहर का तूफान और भी ज्यादा भयंकर हो गया और बिजली इतनी जोर से कड़कने लगी कि मानो आसमान को चीर रही हो। 

शुभम ने बिना कुछ सोचे समझे हवेली के कोने में लगा शीशा पत्थर से तोड़ दिया। और खिड़की खोलकर चेतना को लेकर अंदर कूद गया। हवेली के उस कमरे में बहुत अंधेरा था। शुभम उस कमरे की लाइट जलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन शायद उस घर में बिजली नहीं थी। चेतना उस कमरे को अपने मोबाइल टॉर्च की लाइट में एक्सप्लोर करने लगी।

उस कमरे के एक कोने में एक बक्सा पड़ा था, जिसके ऊपर कुछ कैंडल्स रखी थी। चेतना ने वह कैंडल्स शुभम को दी और खुद वह उस बक्से को खोलकर देखने लगी। उस बक्से के अंदर बड़े सारे कपड़े, पायल, घुंघरू और श्रृंगार का सामान रखा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कमरा और सामान किसी रानी का हो। इतने में शुभम ने कैंडल जला दी और कमरे में रोशनी आ गई। वह दोनों उसी कमरे में बैठ गए और बारिश के रुकने का इंतजार करने लगे। बैठेबैठे शुभम की आंख लग गई। कुछ देर बाद चेतना को टॉयलेट जाना था

 तो वह शुभम को बिना डिस्टर्ब किए एक कैंडिल लेकर वॉशरूम घूमने चली गई। शुभम वहीं बैठा बैठा सो चुका था, लेकिन अचानक उसे घुंघरू की आवाज आई, जिससे उसकी नींद टूट गई। उसे ऐसा लगा कि जैसे कोई औरत घुंघरू पहने उसके पीछे से गुजरी हो। शुभम अचानक से मुड़ा और उसके पीछे कोई भी नहीं था। कमरे में चेतना को न पाकर वह थोड़ा घबरा गया और उस कमरे से बाहर निकलकर हवेली में चेतना को ढूंढने लगा। तभी वो घुंघरू की आवाज और तेज हो गई। शुभम को ऐसा लगा जैसे कोई औरत उसी की तरफ आगे बढ़ रही है।

अचानक से शुभम की तरफ एक तेज हवा का झोंका आया, जिससे उसकी कैंडिल बुझ गई और चारों तरफ अंधेरा हो गया। घुंघरू की आवाज थी। हवा के झोंके के साथ बंद हो गई। लेकिन शुभम को ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसके। एकदम पास खड़ा है कि ज़ोरों से बिजली कड़कने और बिजली की चमक में उसने जो देखा, उसे देख कर उसके रोम खड़े हो गए। 

उसके ठीक सामने एक भयानक चुड़ैल खड़ी थी। वह शुभम को देखते ही उसके ऊपर जोर से चिल्लाया और कॉरिडोर में लगे कांच चकनाचूर हो गए। शुभम घबरा उठा और वहां से उलटे कदम भागा। भागते भागते वह उसी कमरे में वापस आ गया। लेकिन जब वह कमरे में आया तो उसकी रूह कांप उठी। चेतना का शरीर हवा में था और उसका चेहरा बिल्कुल बदल चुका था। उसके माथे पर एक लाल रंग का टीका था और उसके बाल और आंखों का काजल बिखरा हुआ था। शुभम ने सहमी आवाज में चेतना को पुकारा और सामने से जो जवाब आया उससे शुभम के होश ही उड़ गए। आमी मंजुलिका। शुभम को ऐसा लगा जैसे चेतना ने उस पर कोई दहाड़ लगाई हो। फिर भी हिम्मत करके चेतना के नजदीक जाने लगा।

तभी शुभम की आंखों के सामने चेतना के दोनों पैर उलटे हो गए। यह देखकर शुभम की चीख निकल गई और तभी मंजुलिका की आत्मा ने उसे जोर से धक्का दिया और वह कमरे के एक कोने में जा गिरा। शुभम का दिल डर के मारे ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था। मंजुलिका ने जमीन पर पड़े शुभम का गला पकड़ा और उसे हवा में उठा लिया। शुभम को अब सांस लेने में भी मुश्किल हो रही थी कि तभी उस हवेली में एक गाना गूंज उठा। अमी जे तुम्हारो तुमी जे हमरो। आवाज के आते ही मंजुलिका हवा के झोंके की तरह चेतना के शरीर से बाहर निकली और गायब हो गई। चेतना बेहोश होकर नीचे गिर गई। शुभम ने उसे उठाया और जिस खिड़की को तोड़कर अंदर आया था

 उसी से वह बाहर भाग गया। उसने चेतना को गाड़ी की पिछली सीट पर लिटाया और उस तूफान में ही वहां से भाग गया। चेतना को अपने साथ हुए हादसे के बारे में कुछ भी याद नहीं था, लेकिन शुभम अपने साथ हुआ यह हादसा फिर कभी नहीं भूल पाएगा दोस्तों क्या हुआ मंजुलिका का। कौन गा रहा था वो गाना आखिरकार मंजुलिका वापस आई क्यों और कौन कौन से राज छुपे हैं उस हवेली में

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