Rakshabandhan Kab Hai: The Ghost Story in Hindi, Horror Story

"Rakshabandhan Takes a Dark Turn as a Sinister Curse Unleashes Unspeakable Horror"

रक्षाबंधन के फेस्टिवल की इंडियन कल्चर में बहुत मान्यता है पर क्या हो अगर इस फेस्टिवल को मनाने से लोग डरते हे? क्या हो अगर एक बहन के अपने भाई को राखी बांधने से कुछ अनर्थ हो सकता हे तो? यह कहानी उत्तर प्रदेश के जगत पूर्वा विलेज की है इस गांव में पिछले 100 सालों से किसी ने भी रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया है ऐसा माना जाता है

 कि जब भी इस गांव में कोई बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, उसके भाई के साथ कुछ बहुत ही भयानक हो जाता है पर यह बात कॉलेज में पढ़ रहे कपूर फैमिली के बच्चे नहीं जानते थे उन चारों भाई बहनों ने पहाड़ों में जाकर रक्षाबंधन की छुट्टियां मनाने का प्लान बनाया था सबसे बड़ा भाई ऋषभ अपनी कार से अपनी बहन मायरा और कजन रित्विक और ईशा के साथ मसूरी के लिए निकल गया पैसेंजर सीट पर बैठी मायरा रास्ता देख रही थी और कार में सब म्यूजिक इंजॉय कर रहे थे

"Innocent Rakshabandhan Ritual Turns Deadly as Haunting Curse Claims Lives"

 तभी मायरा को अपने किसी दोस्त का कॉल आया और वह कॉल पर बातें करने लगी कुछ दूर जाने के बाद ऋषभ ने रियलाइज किया कि उसने शायद कोई एग्जिट मिस कर दिया है और फोन पर बातें करती हुई मायरा को होश ही नहीं था कि रास्ता देखने की जिम्मेदारी उसकी थी ऋषभ ने गुस्से से मायरा से उसका फोन छीना और नैविगेशन ऐप देखने लगा उन्होंने मसूरी जाने वाले एग्जिट को 17 किलोमीटर पहले ही मिस कर दिया था ऋषभ को गुस्से में देख मायरा ने फटाफट ऑल्टरनेटिव रस्ता चुन लिया रास्ता उत्तर प्रदेश के अंदर से होकर निकल रहा था

 पर अब कोई और ऑप्शन नहीं था, इसलिए ऋषभ को वही रास्ता फॉलो करना पड़ा रास्ता कई गांव से होकर निकल रहा था कच्ची सड़कों पर गाड़ी चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था तभी एकदम से गाड़ी को बहुत जोर से झटका लगा ऋषभ ने कोशिश की, पर गाड़ी आगे ही नहीं बढ़ रही थी उसने बाहर निकलकर देखा तो गाड़ी का टायर एक गहरे गड्ढे में फंस गया था आसपास उन्हें दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था बस खाली खेत थे


रित्विक ईशा को लेकर मदद ढूंढने चला गया सूरज डूबने में अब ज्यादा समय नहीं था ऋषभ को अब बहुत टेंशन होने लगी थी तभी उसने देखा कि सामने से रित्विक और ईशा आ रहे थे और उनके साथ चार पांच लोग थे जो कि उस गांव में रहने वाले लग रहे थे उन लोगों ने आते ही पीछे से धक्का मारकर गाड़ी को गड्ढे से बाहर निकाल दिया ऋषभ और उसके भाई बहनों को चैन की सांस आई और वह उन गांव वालों को थैंक्यू कहकर वहां से निकलने लगे तभी गांव वाले ने उन्हें रोक लिया और उन्हें बताया कि करीबन 70 किलोमीटर आगे तक एक कच्चा रास्ता था

 "A Sibling Bond Turned Nightmare: Rakshabandhan Rituals Awaken an Ancient Evil"

 और उस रास्ते पर स्ट्रीट लाइट भी नहीं लगी थी अंधेरे में वहां गाड़ी चलाना खतरे से खाली नहीं था और इसलिए उन गांव वालों ने ऋषभ और उसके भाई बहनों को उन्हीं के गांव में रुकने के लिए कहा ऋषभ को उन गांव वालों की बात सही लगी और वह उन्हीं के साथ गांव में रुक गए पर ऋषभ नहीं जानता था कि गांव जगत पुरवा गांव था अगले दिन रक्षाबंधन था और क्योंकि पहाड़ों में पहुंचने में उन्हें अभी काफी समय था

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तो ऋषभ और रित्विक ने अगली सुबह उसी गांव में अपनी बहनों से राखी बंधवा ली उस गांव से निकलने से पहले ऋषभ उन गांववालों का शुक्रिया करना चाहता था इसलिए वह रित्विक को अपने साथ लेकर पहले उनके घर चला गया घर से बाहर निकलते ही ऋषभ ने देखा कि पूरा गांव सुनसान था कोई भी गांव वाला अपने घर से बाहर नहीं था

 उस गांव में चलते चलते अचानक ही रित्विक का दम घुटने लगा और उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी देखते ही देखते रित्विक का पूरा चेहरा लाल होने लगा था ऋषभ को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह जोर जोर से चीखकर मदद मांगने लगा उसकी चीख सुनने पर एक गांव का आदमी दौड़कर उसके पास आया पर जैसे ही उसने उन दोनों के हाथों में राखी बंधी देखी तो वो आदमी एकदम घबरा गया और डरकर वहां से भाग गया ऋषभ को यह बहुत अजीब लगा इसलिए ऋषभ खुद ही रित्विक को कंधे पर उठाकर वहां से ले जाने लगा तभी उसको पीछे से एक धक्का लगा और वह जमीन पर गिर गया ऋषभ उठने की कोशिश करने लगा पर उसे अचानक अपनी पीठ पर बहुत ज्यादा वजन महसूस होने लगा था वह हिल भी नहीं पा रहा था


उसने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो उसकी पीठ पर एक बहुत ही भयानक दिखने वाली औरत बैठी थी उसके काले बाल उसके पूरे शरीर को ढक रहे थे वह पागलों की तरह मुस्कुराती हुई ऋषभ को ही देख रही थी और फिर अचानक गायब हो गई ऋषभ की रूह कांप गई थी, लेकिन रित्विक की हालत बिगड़ती जा रही थी ऋषभ वहां से जल्दी से उठा और रित्विक को फिर से कंधे पर उठाकर भागने लगा तभी जोरों से आंधी चलने लगी और देखते ही देखते वह हवाएं इतनी तेज हो गई पूरे गांव के सभी घरों की टीम की छतें टूटने लगी आसमान काला पड़ गया ऐसा लग रहा था

"A Rakhi Tied in Love Turns into a Portal of Terror, Leaving a Trail of Fear and Death"

 जैसे उस गांव पर प्रलय आने वाली थी ऋषभ वहां से जल्दी से जल्दी निकलना चाहता था पर ऋषभ को क्या पता था कि आगे कौन सा भयानक मंजर उसका इंतजार कर रहा था भागते भागते ऋषभ ने देखा कि रित्विक के मुंह से खून बहने लगा था और वह बेहोश होने लगा था उसने रित्विक को जमीन पर लिटाया और उसे होश में लाने की कोशिश करने लगा लेकिन कुछ ही पलों में रित्विक ने react करना ही बंद कर दिया उसी वक्त जिस जमीन पर रित्विक लेटा था

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उसी के नीचे से दो काले गले हुए हाथ बाहर निकले और ऋषभ का गला दबाने लगे ऋषभ बुरी तरह दर्द से फड़फड़ाने लगा धीरे धीरे ऋषभ की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा कुछ समय बाद जब ईशा और मायरा अपने भाइयों को ढूंढते हुए आए तो उन्होंने देखा कि गांव में भीड़ जमा है जब वह भीड़ के पास गए तो उनकी आंखों से आंसू बहने लगे नीचे जमीन पर उनके भाई रित्विक और ऋषभ की लाशें पड़ी थी ईशा और मायरा को अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था तब गांव के एक बुजुर्ग ने उन्हें बताया, पिछले 100 सालों से उस गांव में किसी बहन ने अपने भाई को राखी नहीं बांधी उस बुजुर्ग ने कहा कि उस जगह पर एक चुड़ैल का श्राप है कहते हैं। 

 कि कई साल पहले एक पिता अपने बेटे और बेटी दोनों को अपनी जमीन का बराबर हिस्सा देना चाहते थे, लेकिन उनके बेटे को यह बात हजम नहीं हुई और उसने राखी के दिन ही अपनी बहन से राखी बंधवाने के बाद जहर डालकर उसे मीठे में जहर भरी खीर खिला दी जिसकी वजह से उस लड़की की मौत हो गई मरते वक्त उस लड़की ने पूरे गांव को श्राप दिया कि अगर कोई बहन किसी भाई को राखी बांध दे तो वह चुड़ैल उस भाई को मार डालेगी ईशा और मायरा ये सब सुनकर अंदर से टूट गए वो इस सदमे से कभी नहीं उभर पाए और आज भी वो अपने भाइयों को खोने के गम में अपनी जिंदगी बिता रहे हैं

 और रही बात जगत पुरवा गांव के लोगों की तो वो आज भी रक्षाबंधन के दिन बस जिंदा रहने की आस रखते हैं तो भाइयों अपनी बहनों के साथ कभी गलत मत करना पता नहीं कब किसी बहन का श्राप आपको लग जाए  

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