The Fateful Journey: A Train Accident

                        The Train Accident

On a Dark and Stormy Night..

बहुत ही भयानक दृश्य था वहां का हर तरफ लाशें ही लाशें थी उन लाशों पर सैकड़ों मक्खियां भिनभिना रही थी इतनी भीषण रेल दुर्घटना पिछले 100 सालों में नहीं घटी थी तीन तीन रेलगाड़ियां जिसमें एक मालगाड़ी शामिल थी, उनकी बोगियां एक दूसरे पर पूरी तरह चढ़ी हुई थी ट्रेन की जनरल बोगी समेत स्लीपर क्लास और एसी की कहीं बोगियां एकदम तहस नहस हो गई थी शायद कोई भी नहीं बचा था

Train Accident
Train Accident
उनमें 72 घंटे हो गए थे इस भयानक दुर्घटना के लेकिन लाशों के निकलने का सिलसिला लगातार जारी था बचाव दल वाले पूरी मुस्तैदी से अपना काम कर रहे थे ट्रेन की बोगियों में फंसे लोगों को ट्रेन के डिब्बों को काटकर निकाला जा रहा था  एंबुलेंस और बोगियों को काटने वाली मशीन की आवाज सुनकर भी डर लग रहा था एंबुलेंस में घायल कम लाशें ज्यादा ले जाई जा रही थी

 लेकिन कुछ लोग अभी भी अपनों की तलाश में भटक रहे हैं बचाव दल वालों से उन्हें उम्मीद थी कि वो उनके अपनों को शायद निकाल लाए मेरा बेटा मेरा 18 साल का जवान बेटा है उसे कुछ मत होने दीजिए उसे भगवान के लिए निकाल दीजिए वो अंदर फसा है वो देखिए न, उसके हाथों में हरकत हो रही है तो उसे निकाल दीजिए उसे निकाल लीजिए मां ऐसी ही होती है शायद जहां उम्मीद न हो वहां पर भी उम्मीद लगा बैठती है

उसका जवान बेटा मर चुका था बेजान पड़ा था उसका शरीर फिर भी उसे लग रहा था कि उसके हाथो में हरकत हो रही है हर ओर चीख पुकार मची हुई थी कोई अपनी मासूम बच्ची की लाश को देखकर बार बार बेहोश हो रहा था तो कोई अपने बूढ़े पिता के मृत शरीर को घूर घूर कर देख रहा था कोई अपनी पत्नी के मृत शरीर को सीने से चिपकाए रो रहा था तो कोई अपने पति की लाश से बातें कर रही थी

कहा जिंदगी भर साथ ही भावुक हुए कहा था न फिर बीच रास्ते में क्यों छोड़कर चले गए? क्यों चले गए? अब मेरी मांग सूनी हो जाएगी मेरी मांग में सिंदूर देखना तुम्हें बहुत पसंद था ना? अब कभी नहीं लगा पाऊँगी मैं सिंदूर

बचाव कार्य तो जारी था, लेकिन अब जिंदा बचे लोगों की उम्मीद कम ही थी लेकिन उस दर्दनाक मंजर वाली जगह पर भी लोगों की चीत्कार और लाशों की भयंकर दुर्गंध के बीच फोटोग्राफर मिलकर फोटो ले रहा था वहीं प्राइवेटअखबार में फोटोग्राफर का काम करता था एक्सीडेंट के एक सीन को वह बारीकी से अपने कैमरे में उतार रहा था

उस भयानक और चीख पुकार वाले स्पॉट को देख कर उसकी आंखें भीग गयी थी लाशों को देख उसके दिल की धड़कन भी तेज हो रही थी लेकिन उसे अपना काम करना था क्योंकि उसी से तो उसका घर चलता था उसने कई सारी फोटो खींची और सारी तस्वीरें

ऐसी कि कोई साधारण इंसानों से देखे तो सांप उसके चेहरे पर साफ साफ दिख जाए तस्वीरें खींचकर वह उन तस्वीरों को जूम करके भी देख रहा था कि ठीक है कि नहीं ऐसे ही एक तस्वीर को जब वह जूम करके देख रहा था, तभी अचानक वह एकदम से डर गया बड़ी ही भयानक लाश की तस्वीर थी 

उसकी दोनों आंखें बाहर को निकल गई थी और वह आंखें ऐसा लग रहा था कि दिनकर को ही घूर कर देख रही है तभी वहां अचानक बारिश शुरू हो गई एक तो कड़ाके की सर्दी ऊपर से बारिश दिनकर का काम लगभग पूरा हो चुका था, इसलिए उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और घर की ओर चल पड़ा पूरे रास्ते उसकी आंखों के आगे दुर्घटनास्‍थल का ही सीन घूम रहा था

दिनकर घर पहुंच गया था पिछले दो तीन घंटे से वह बहुत ही बिजी था हर दिन लाशों की तस्वीर खींचकर उसे स्कैन करके ऑफिस ईमेल और पोस्ट दोनों करना उसका काम था उस रात भी वह यही कर रहा था रात की यही कोई साढ़े 12 बज रहे थे हर ओर खामोशी ही खामोशी छाई हुई थी

दिनकर एक बार फिर से अपनी खींची तस्वीरों को जूम करके देख रहा था क्योंकि वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था क्योंकि अगर एक भी तस्वीर खराब पोस्ट होती या क्लियर पोस्ट नहीं होती तो उसे अपने बॉस के गुस्से का सामना करना पड़ जाता इसलिए वह एक बार फिर से उन तस्वीरों को जूम करके देखने लगा धीरे धीरे बारीकी से लेकिन तभी फिर से उस तस्वीर पर उसकी निगाह टिक गई। 

वह जल्दी से उसे हटाकर आगे बढ़ना चाहता था, लेकिन कहीं उसे लगा कि उस लाश की आंखें तस्वीर से एकदम से बाहर निकल आई हैं और उससे कह रही हैं कि अरे मैं तो मर गया, अब मेरे मुर्दा शरीर को छोड़ दें, छोड़ दें

दिनकर का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा उसने कैमरे को बंद किया और सिगरेट जलाई सिगरेट का कश लगाते हुए वह अपने आराम कुर्सी पर बैठकर कुछ सोचने लगा लेकिन तभी उसे लगा कि उसकी कुर्सी के पीछे कोई है वह तेजी से पीछे घुमा, लेकिन वहां तो कोई नहीं था 

यहां तो कोई नहीं है फिर मुझे ऐसा क्यों लगा कि कोई मेरे पीछे खड़ा है? दिनकर पूरी तरह डर गया था उसे ना तो उन तस्वीरों को देखने का मन कर रहा था और ना ही अपने कैमरे को लेकिन तस्वीर तो उसे अपने बॉस को भेजनी ही थी उसने एक बार फिर से हिम्मत की और खींची गई उन तस्वीरों को जिसकी उसने प्रिंट भी निकाल रखी थी, टेबल पर इकट्ठा करने लगा 

लेकिन तभी अचानक उसके कमरे का बंद पंखा न जाने कैसे ऑन हो गया सारी तस्वीर इधर उधर उड़ने लगी अरे, यह यह पंखा कैसे ऑन हो गया? इतनी सर्दी है यहाँ, उसने पंखा का स्विच ऑफ किया और बिखरी पड़ी सारी तस्वीरों को इकट्ठा किया और अपनी टेबल पर उसे रखा 

उसके बाद एक एक कर फोटो को धीरे धीरे स्कैन कर रहा था लेकिन तभी फिर से उसके कमरे का पंखा ऑन हो गया और तस्वीरें फिर से उड़ने लगी दिनकर को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है वह पंखा ऑफ करने के लिए उठने ही वाला था कि तभी पंखा अपने आप बंद हो गया 

दिनकर ने सारी बिखरी तस्वीरों को एक बार फिर से इकट्ठा किया और उसे अपने टेबल पर रखे बड़े से पेपरवेट से दबाकर रख दिया और उसके बाद एक एक कर अपने कैमरे की तस्वीरों को स्कैन कर अपने कंप्यूटर पर सेव करने लगा ताकि वो सारी तस्वीरें एक साथ ही अपने बॉस को ईमेल कर सकें 

वह तस्वीरों को स्कैन करने में मगन था लेकिन तभी दिनकर को ऐसा लगा कि कोई फिर से उसके पीछे आकर खड़ा हो गया है उसकी तेज तेज सांसों की आवाज से वह बिल्कुल साफ साफ सुन सकता था एक बार फिर से दिनकर के दिल की धड़कन तेज हो गई उसे कुछ समझ आता

उसके पहले उसने देखा कि उसके पास रखे पेपरवेट पर किसी की उंगलियां है और उंगलियों को देखकर दिनकर का चेहरा पीला पड़ गया वह वहां से भागने वाला था, लेकिन उससे पहले ही वह पेपरवेट हवा में उड़ा ऐसा लगा कि किसी ने उसे अपने हाथों से उठाया है और फिर उसने उस पेपरवेट को दिनकर के सिर पर जोर से मार डाला और दिनकर की चीख निकल गई

उसके सिर से खून बहने लगा दिनकर दर्द से बिलबिला रहा था तभी किसी अदृश्य ताकत ने उसके सिर के बालों को पकड़ा और उसे खींचकर जमीन पर पटक दिया दिनकर को पहली बार लगा कि कोई साया उसके पास खड़ा है  उस साय ने दिनकर के बालों को का पकड़ा और उसे उसके कमरे के बाहर की ओर घसीटकर ले जाने लगा

माया गुड़िया, गुड़िया बचाओ दिनकर चीख चीखकर अपनी पत्नी माया और अपनी सात साल की बेटी गुड़िया जिसे वह बहुत प्यार करता था, उसे आवाज देने लगा लेकिन किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी वो साया उसे खींचकर सीढ़ियों के पास ले गया और उसे सीढ़ियों से नीचे की ओर खींचने लगा दिनकर चीख रहा था, चिल्ला रहा था उसका पूरा सिर सिर्फ खून से भर गया था और सिर से निकला खून सीढ़ियों पर निशान छोड़ता जा रहा था

उसकी स्थिति बहुत ही खराब हो रही थी और उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा रहा था लेकिन उस गुनगुनाहट में भी उस दर्दनाक स्थल की सारी लाशें दिखाई दे रही थीं। 

लेकिन वो लाशें जिंदा थी और उसकी ओर घूर रही थी 8 साल का मासूम बच्चा उसे न सिर्फ गुर रहा था बल्कि उसकी आंखों में कई सवाल थे अचानक उन सभी ने मिलकर दिनकर पर हमला करा उसके शरीर को नोचने लगे

To be continue 

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