Ragini: Unveiling the Dark Secrets of the Horror Story
Introduction "Ragini" Horror Story
"Ragini" Horror Story |
Certain horror tales go on to become timeless masterpieces that keep us awake at night. Ragini Horror Story is one such terrifying story. This piece intends to transport you on a memorable tour of the eerie home, as the tale develops and its grotesque encounters and secrets are revealed. As we dig into this compelling tale, supported by reliable facts and personal insights, get ready for an emotional roller coaster.
एक काली साड़ी पहनी औरत घुटनों पर बैठी थी और सामने एक आदमी हाथ में कुल्हाड़ी लिए उसे गुस्से से देख रहा था बस रुक जाओ वरना गोली चला दूंगा मैं इस जंगल में कुछ दिन रहने आया हूं अभी कुछ दिन पहले ही मैंने इस जंगल के पास यह फार्म हाउस खरीदा है बहुत सस्ते दाम में मुझे यह फार्महाउस मिल गया मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर इस प्रकृति की खूबसूरती में आकर बहुत अच्छा लग रहा था खुली और ताजी आवाज सुकून दे रही थी मैं, मेरी बीवी और मेरा सात साल का बच्चा हम तीनों यहां आए थे।
इस फार्महाउस के पीछे एक बड़ा घना जंगल है दिन में भी कोई अंदर जाने से डरें इतना घना जंगल हमारे फार्महाउस से दूर तक किसी का घर नहीं है और किसी की कोई तकलीफ नहीं लेकिन अगर किसी की मदद की जरूरत पड़ी तो वह भी नहीं मिलेगी इस फार्महाउस का एक रहस्य है इस फार्महाउस में एक तहखाना है उसका दरवाजा आपको पहली नजर में दिखेगा भी नहीं, लेकिन नीचे जमीन पर जो कोने में काले रंग की मार्बल है ना वही तो इस तहखाने का दरवाजा नीचे जाने के लिए लकड़ी की सीढ़ियां है।
एक आदमी आराम से खड़ा हो सके इतनी ऊंचाई है उसमें पुराने मालिक का कुछ सामान भी पड़ा था, जिसमें से एक कुल्हाड़ी थी मेरी बीवी और बच्चे यहां आने के बाद बहुत खुश थे मैं आज जंगल में शिकार के लिए निकला हूं अपनी बंदूक लेकर जंगल में जा रहा था दोपहर का वक्त था फिर भी सूरज की किरणें जमीन पर पहुंच नहीं पा रही थी इतना घना जंगल था पक्षियों की आवाज गिरगिट और कुछ छोटी प्राणियों के अलावा कुछ नजर नहीं आया चलते चलते मैं बहुत अंदर तक आ गया।
अचानक चारों ओर अंधेरा छाने लगा आसमान में घने काले बादल छा गए थे मैंने घर जाने का फैसला किया छतों पर पड़ने वाली बारिश की बूंदों की आवाज आने लगी मैं निकल रहा था कि मुझे एक बहुत ही डरावना नजारा देखने को मिला एक मेरी उम्र का आदमी कुल्हाड़ी लेकर खड़ा था सामने एक काली साड़ी पहनी औरत बैठी थी, जो घुटनों पर बैठी थी उसके खुले बाल बिखरे हुए थे उसके बिखरे बालों की वजह से उसका चेहरा नहीं दिख रहा था मैंने उसे आवाज दी, रुक रुक लेकिन उस आदमी ने ध्यान ही नहीं दिया उसकी आंखें लाल हो गई थी बहुत तेज बारिश होने लगी थी उसने धीरे धीरे कुल्हाड़ी उठाई रुक जाओ, वरना गोली चला दूंगा मैंने आखिरी इशारा दिया, लेकिन शायद उसे मेरी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी।
या फिर वो सुनना ही नहीं चाहता था वह पूरी गति से कुल्हाड़ी को उसके गर्दन की ओर ले जाने लगा फिर मुझे मजबूरन गोली चलानी पड़ी जो उसके सीने पर जाकर लगी आदमीें पीछे गिर गया मैं तो किसी जानवर के शिकार करने निकला था, लेकिन मेरे हाथों एक इंसान का खून हो गया था लेकिन मेरे सामने भी तो कोई रास्ता नहीं था मैं उसे नहीं मारता तो वह उस औरत को मार डालता मैं पास गया आदमी अभी भी जिंदा था मेरी तरफ देख रहा था मैंने उस औरत के कंधों को पकड़ा और खड़ा किया जोरदार बारिश हो रही थी व थर थर कांप रही थी ठंड से या फिर डर से, मै उसको को लेकर चलने लगा वो आगे चल रही थी।
और मैं पीछे, मैं उसके बदन की तरह देखते ही रह गया 25 की उम्र होगी उसकी न पतली थी ना ही मोटी कद लंबा था पीछे से उसका भीगा बदन नशीला लग रहा था क्या बताऊं मैं उसे देखते ही मदहोश हो गया तुम्हारा नाम क्या है? मैंने पूछा वह धीरे से पलटी और बोली ragini उसके होठों पर मुस्कुराहट थी उसके गुलाबी होंठ, उस पर कुछ पानी की बूंदें चेहरे पर अभी भी बालों का पहरा था, लेकिन उसकी मुस्कुराहट देखकर मैं खुश हुआ उस आHorrorदमी को वही मरता हुआ छोड़ मैं उस औरत के साथ आया दरवाजे पर बीवी खड़ी थी।
बेटा अंदर के रूम में था उस औरत को देख कर वो भी चौंक गई मैंने उसे सारी घटना बता दी उसे भी उस औरत पर दया आई वह उससे कुछ सवालात करने लगी लेकिन वह चुपचाप वहीं सिर झुकाए कुर्सी पर बैठी रही ragini के गीले बाल अब भी वैसे ही थे जिसमें से एक एक बूंद पानी नीचे गिर रहा था मेरी बीवी ने उसे खाना परोसा पर उसने कुछ भी नहीं खाया शायद डर से लेकिन मेरे पास वह सुरक्षित थी लेकिन वह कुछ नहीं बोल रही थी।
उससे बहुत सारे सवाल पूछने थे वो आदमी कौन था? क्या वह उसका पति था? उसे मार क्यों रहा था? लेकिन शायद वह अभी भी सदमे में थी, इसलिए हमने उससे कुछ पूछा नहीं मैं रोज रात कुछ पैक पीकर ही सोता हूं बीवी बच्चे के साथ अंदर बेडरूम में सोई थी उस औरत का इंतजाम हमने पास वाले कमरे में किया था मैं हॉल में बैठकर एक एक घूंट वाइन पी रहा था बाहर बहुत तेज बारिश हो रही थी मेरी नजरों के सामने बार बार उसके नशीले बदन के सामने यह वाइन भी फीकी लग रही थी।
"Ragini" Horror Story |
अचानक पीछे से कुछ आवाज आई मैंने पलटकर देखा तो ragini उसके रूम के दरवाजे में खड़ी थी काली साड़ी में बालों को खुला छोड़कर एक बिजली कड़कने आई, जिससे थोड़ी देर रूम में उजाला हुआ और धीरे से अंदर चली गई दरवाजा खुला छोड़कर मैंने अपने हाथ का गिलास गुट में ही खाली कर दिया और उसके रूम के अंदर गया ragini बेड पर बैठी थी मैं उसके पास जाने लगा मुझे उसकी गरम सांसों का एहसास होने लगा था उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी मैंने दरवाजे की तरफ देखा मेरी बीवी वहीं खड़ी थी उसकी आंखों में गुस्सा साफ साफ दिख रहा था वह गुस्से से वहां से चली गई मैं खुद को संभालते हुए उठा और उसके पीछे गया रुक जाओ, मेरी बात सुनो वह अंदर गई हाथ में बैग और आधी नींद से उठे मेरे बच्चे को लेकर कार में बैठकर निकल गई बाहर अभी भी बारिश हो रही थी मैं बैठा ragini दरवाजे में खड़ी थी चेहरे पर मुस्कुराहट थी।
मेरे दिमाग पर ragini फिर से छा गई और मैं उसके पीछे पीछे अंदर गया दिन गुजरते जा रहे थे हमारे लिए खाना बनाती थी पर खुद नहीं खाती थी कुछ भी नहीं बोलती थी हमेशा वह काली साड़ी पहनती थी और ज्यादातर हम पहनने में व्यस्त हो जाती थे उसके बाद मुझे गहरी नींद लग जाती थी थकान की नींद, कई बार नींद से उठने पर वह मुझे आसपास नहीं देखती तुम्हें बेचैन हो जाता था और उसे ढूंढता जैसे वह मुझे देखती मैं दौड़ते हुए जाकर उसे बांहों में भर लेता था उसके चेहरे पर सिर्फ मुस्कुराहट रहती थी।
मेरे सोने के बाद वह कहीं जाती होगी क्या? आखिर वह है कौन? कुछ खाती क्यों नहीं? वह आदमी कौन था? वह इतनी नशीली क्यों है? लेकिन चाह कर भी मैं उससे कुछ भी सवाल नहीं कर पा रहा था ऐसा क्यों हो रहा था? दो हफ्ते गुजर चुके थे मैं उसके प्यार में मदहोश हो चुका था मेरा खुद पर बस नहीं चला था जैसे मैं किसी की गाड़ी के पीछे बैठा हूं और गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठी है ragini मुझे जहां चाहे वहां ले जा रही थी मुझे वो सफर अच्छा लग रहा था उसका साथ अच्छा लग रहा था, लेकिन उस रात किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी मैंने दरवाजा खोला सामने चार लोग खड़े थे क्या चाहिए।
देखिए पास ही की बस्ती में रहते हैं हमारी बस्ती से दो छोटे बच्चे गायब हो गए हैं एक 10 दिन पहले और एक सुबह आपने उनको देखा होगा यहां कोई नहीं आया तो मैंने बोला नाराज होकर वहां से चले गए मैंने दरवाजा बंद किया और अंदर आया ragini किचन में थी अचानक मुझे वह ओह्ह्ह की आवाज आने लगी लेकिन आवाज कहां से आ रही है यह समझ नहीं आ रहा था मेरा ध्यान जमीन की ओर गया। वह तहखाने का दरवाजा था। आवाज वही से आ रही थी, दरवाजा खोल ही रहा था
कि उस पर ragini आकर खड़ी हो गई। उस रात के प्राणायाम के बाद मुझे गहरी नींद लग गई। लेकिन पता नहीं कैसे मेरी नींद खुली। ragini मेरे पास नहीं थी। किसी जंगली जानवर के गुर्राने की आवाज आ रही थी और साथ में मुंह से चप चप की आवाज जैसे कोई जानवर कुछ खा रहा है। मैं आवाज की तरफ बढ़ने लगा। आवाज वहीं से आ रही थी। तहखाने से मुझे कुछ देर पहले की घटना याद आई। मैंने जल्दी से उसका दरवाजा खोला। दरवाजे के खुलते ही एक बहुत ही गंदी बदबू आई। मैं धीरे धीरे सीढ़ियों से नीचे उतरा। मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो मेरी रूह कांप उठी। सामने ragini बैठी थी।
उसकी गोद में चार पांच साल का लड़का था। उसने पहले ही गर्दन को काटकर उसकी जान ले ली थी। वहां से बहुत सारा खून बह रहा था। वहीं पास में हड्डियों का ढांचा पड़ा था, कुछ जगह मांस चिपका हुआ था, जो अभी सड़ चुका था। उसने मेरी तरफ देखा। उसका चेहरा खून से भरा हुआ था। उसके दांत खून और मांस से लाल हो गए थे। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। मेरे मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। जब मुझे होश आया तो मैं मेरे बेड पर था और ragini पास ही में सोई थी रोज की तरह। फिर जो रात को देखा वह क्या सपना था? कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैंने उसकी तरफ देखा। बहुत मासूम लग रही थी। मुझे खून से भरा चेहरा याद आया। मैं डर से उठ खड़ा हुआ। कुछ समझ नहीं आ रहा था।
फिर मेरी नजर उस तहखाने के दरवाजे पर गई। मैंने फिर एक बार अंदर जाने का फैसला किया। मैंने दरवाजा खोला तो फिर वही बदबू आने लगी। मैं एक सीढ़ी नीचे उतर रहा था। जब मैंने रात को देखा वह सपना ही हो, इसके लिए मैं प्रार्थना कर रहा था। लेकिन सामने आदमियों के ढांचे ही थे। वह भी एक नहीं दो और दूसरी बच्चि को भी खाकर ragini ने हड्डियों का ढांचा बना दिया था। वह पलटा। कुछ ही दूरी पर ragini खड़ी थी। चेहरे पर वही मुस्कुराहट थी। मैं डरकर दो कदम पीछे हटा। उसकी मुस्कुराहट डरावनी लग रही थी। मुझे उससे गिन आ रही थी। कौन है तो बच्चे खाने वाली चुड़ैल या फिर डायन? मैं चिल्ला चिल्लाकर उससे पूछ रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। चेहरे की मुस्कुराहट वैसे ही रखते हुए वह बोली, ragini, मुझे बहुत गुस्सा आया था। उसके हंसने का नशा उतर चुका था।
मैंने इधर उधर देखा। पास में कुल्हाड़ी पड़ी थी। मैंने वह उठाई। उसके लंबे घने बालों को पकड़कर खींचते हुए जंगल के अंदर ले जाने लगा। मैं उसे जंगल के बहुत अंदर ले गया था। मेरे सामने घुटनों पर बैठ गई। उसके बाल बिखरकर चेहरे पर आ गए थे। अचानक चारों ओर अंधेरा छाने लगा। आसमान में काले बादल जमा हुए। पेड़ों के पत्तों पर बारिश की बूंदें पड़ने की आवाज आने लगी और जोरों की बारिश शुरू हो गई। लेकिन मुझे किसी चीज का होश नहीं था।
बस अब हाथ में कुल्हाड़ी थी। उसने उस नरभक्षी औरत का सर धड़ से अलग करना था। रुक रुक, कानों पर शब्द पड़े, लेकिन मैंने उधर ध्यान नहीं दिया। मैं गुस्से से उसे देख रहा था। मुझे उसकी जान लेनी थी। छोटे बच्चों को खाने वाली उस औरत को जीने का हक नहीं था। बारिश और तेजी से होने लगी। मैंने कुल्हाड़ी चलाने के लिए हाथ पीछे लिया।
रुक नहीं तो गोली चला दूंगा। फिर कुछ शब्द मेरे कानों पर पड़ी। मैंने आवाज को नजरअंदाज कर कुल्हाड़ी तेजी से उसकी गर्दन की ओर लाई। लेकिन अचानक एक गोली आकर मेरे सीने को लगी और मैं पीछे की तरफ गिर पड़ा। कोई मुझे पास आकर देख रहा था। फिर उसने ragini को कंधे से पकड़कर उठाया। वो आगे चल रही थी। और उसके पीछे।
मैं उसे उस औरत के बारे में आगाह करना चाह रहा था लेकिन मेरे मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। उसकी भी पूरा ध्यान उसके भीगे बदन पर था। उसे अब नया शिकार मिल गया था। क्या नाम है तुम्हारा? उसने पूछा। उसने पलट कर देखा। उसकी नजर मुझ पर थी। चेहरे पर वही मुस्कुराहट थी। उस बेचारे को लग रहा था कि वह उसे देखकर मुस्कुरा रही है। बिल्कुल जैसे मुझे लगा था। उस दिन अपनी मुस्कुराहट के साथ वह बोली। ragini
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